नीति आयोग ने किन कारणों से अपने तीन वर्षीय कार्यवाही एजेंडे में कृषिगत आय की एक निश्चित सीमा पर करारोपण का प्रस्ताव किया है? इसका अर्थव्यवस्था एवं समाज पर क्या प्रभाव पड़ेगा? (250 शब्द)
13 Nov, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था
प्रश्न विच्छेद • प्रश्न का संबंध कृषि आयकर लगाने के मुद्दे पर नीति आयोग के दृष्टिकोण एवं तर्क से है। साथ ही इसका सामाजिक व आर्थिक प्रभाव भी स्पष्ट करना है। हल करने का दृष्टिकोण • कृषि आय पर कर के संबंध में वर्तमान प्रावधान व इस प्रस्ताव की पृष्ठभूमि बताते हुए उत्तर प्रारंभ कीजिये। • कृषि आय पर कर लगाने के पक्ष में तर्क दीजिये। • कृषि आय पर कर लगाने के आर्थिक व सामाजिक प्रभाव बताइये। • निष्कर्ष लिखिये। |
भारत में आयकर अधिनियम की धारा 10 में वर्णित प्रावधान के तहत कृषि से होने वाली आय पर आयकर नहीं लगता। ध्यातव्य है कि आज़ादी के बाद से ही यह विचार व बहस का मुद्दा रहा है कि कृषि आय पर कर लगना चाहिये या नहीं। हालिया समय में यह बात इसलिये चर्चा में रही क्योंकि भारत सरकार के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रह्मण्यम एवं नीति आयोग के सदस्य विवेक देबरॉय ने एक निश्चित सीमा के बाद कृषि से होने वाली आय पर कर लगाने का सुझाव दिया।
कृषि आय पर कर लगाने के पक्ष में तर्क:
कृषि पर आयकर लगने से अर्थव्यवस्था पर प्रभाव:
समाज पर प्रभाव:
निष्कर्ष:
कृषि पर आयकर लगाने में नि:संदेह कई चुनौतियाँ हैं, मसलन कृषि से होने वाली आय की गणना कैसे होगी क्योंकि भारत में कृषि सामान्यत: एक पारिवारिक उद्यम है, इससे कृषक हतोत्साहित हो सकते हैं, कृषकों का पलायन बढ़ सकता है इत्यादि। किंतु इसका भी समाधान ज़रूरी है कि कृषि क्षेत्र में आयकर की छूट, कर चोरी का माध्यम न बने और धनी व समृद्ध किसान अपनी कर देने की ज़िम्मेदारी से न बच सकें क्योंकि यह करदाताओं के साथ अन्याय है। सही तो यह होगा कि इस संबंध में सरकार एक बेहतर कार्य योजना का निर्माण करे जिसमें इन समस्याओं का समाधान भी समाहित हो और संकट से गुज़र रही कृषि क्षेत्र की स्थिति में भी सुधार हो सके।