उत्तर :
प्रश्न विच्छेद
• कथन विजयनगर के शासकों के कला एवं संस्कृति में योगदान के आकलन से संबंधित है।
हल करने का दृष्टिकोण
• विजयनगर के शासकों के कला एवं संस्कृति में योगदान के संक्षिप्त उल्लेख के साथ परिचय लिखिये।
• विजयनगर के शासकाें के कला एवं संस्कृति में योगदान का आकलन प्रस्तुत कीजिये।
• उचित निष्कर्ष लिखिये।
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विजयनगर, जिसकी स्थापना चौदहवीं शताब्दी में हुई थी, अपने चरमोत्कर्ष पर उत्तर में कृष्णा नदी से लेकर प्रायद्वीप के सुदूर दक्षिण तक फैला हुआ था। इस साम्राज्यिक उन्नति का कृष्ण देवराय जैसे शासकों के अंतर्गत कला एवं संस्कृति के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय प्रभाव पड़ा।
विजयनगर के शासकों के कला एवं संस्कृति में योगदान का आकलन निम्नलिखित रूपों में वर्णित है:
- विजयनगर में शासकों की गजशालाओं पर बीजापुर और गोलकुंडा जैसी आस-पास की सल्तनतों की वास्तुकलात्मक शैली का काफी प्रभाव पड़ा था।
- कृष्णा और तुंगभद्रा नदियों की घाटी में स्थित साम्राज्य के केंद्रस्थल हंपी नगर की किलेबंदी उच्च कोटि की थी। किले की दीवारों के निर्माण में गारे-चूने जैसे किसी भी जोड़ने वाले मसाले का प्रयोग नहीं किया गया था बल्कि शिलाखंडों को आपस में फँसाकर गूँथा गया था।
- कृष्णदेव को ही कुछ बेहतरीन मंदिरों के निर्माण तथा कई महत्त्वपूर्ण दक्षिण भारतीय मंदिरों में भव्य गोपुरमों को जोड़ने का श्रेय जाता है।
- विजयनगर शासन के दौरान मंदिर निर्माण गतिविधि ने अधिक गति प्राप्त की। मंदिर परिसर में नक्काशीदार स्तंभों के साथ लंबा राय गोपुरम या प्रवेश द्वार एवं कल्याण मंडपम का निर्माण विजयनगर स्थापत्य का प्रमुख अभिलक्षण था। स्तंभों पर मूर्तियाँ विशिष्ट विशेषताओं के साथ खुदी हुई थीं। घोड़ा इन स्तंभों पर पाया जाने वाला सबसे आम जीव था।
- स्वामी मंदिर एवं हज़ार रामास्वामी मंदिर विजयनगर शैली के मंदिरों के बेहतरीन उदाहरण थे। विजयनगर के शासकों द्वारा संगीत एवं नृत्य को भी संरक्षण प्रदान किया गया था। कांचीपुरम में वरदराज मंदिर एवं एकंबरनाथ मंदिर विजयनगर शैली की भव्यता के उदाहरण हैं।
- इस क्षेत्र में विभिन्न भाषाओं जैसे- संस्कृत, तेलुगू, कन्नड़ और तमिल का विकास हुआ। संस्कृत और तेलुगू साहित्य के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण विकास हुआ था।
- कृष्ण देवराय के शासनकाल के दौरान साहित्यिक उपलब्धि शिखर पर पहुँच गई थी, वह स्वयं भी संस्कृत और तेलुगू विद्वान था। इसका प्रसिद्ध दरबारी कवि अलसानी पेद्दन तेलुगू साहित्य में प्रतिष्ठित था।
- हंपी के शाही भवनों में भव्य मेहराब एवं गुंबद, मूर्त्तियों को रखने के लिये आले सहित स्तंभों वाले कई विशाल कक्ष और कमल एवं टोडों की आकृति वाले मूर्तिकला के नमूनों के साथ सुनियोजित बाग-बगीचे भी थे।
इस प्रकार विजयनगर शासकों का कला एवं संस्कृति के क्षेत्र में योगदान बहुमुखी और उल्लेखनीय था।