बीते दिनों नोएडा के एक बड़े निजी स्कूल में 5 साल के एक मासूम बच्चे की हत्या के मामले में जाँच एजेंसी ने उसी स्कूल के एक किशोर छात्र को अभियुक्त पाया है। आरोपी छात्र किशोर एवं वयस्क अवस्था की दहलीज़ पर खड़ा है। पीड़ित पक्ष की मांग है कि आरोपी को वयस्क मानते हुए उस पर दंडात्मक कार्रवाई की जाए, जबकि आरोपी पक्ष एवं कई मानवाधिकार संगठनों की मांग है कि उसे किशोर मानते हुए उदार एवं सुधारात्मक कार्रवाई की जाए। यह मामला जुवेनाइल कोर्ट में आपके समक्ष विचार के लिये आता है, जहाँ आप न्यायाधीश हैं।
उक्त मामले के निर्णयन में आप किन-किन पक्षों पर ध्यान देंगे और क्यों? ऐसे हादसों के लिये आप किसे उत्तरदायी मानते हैं? (250 शब्द)
उत्तर :
प्रश्न विच्छेद
• प्रश्न एक बच्चे की हत्या के मामले में न्यायाधीश के समक्ष न्याय की आपूर्ति और आरोपी बच्चे की कम आयु के उपजे द्वंद्व से संबंधित है।
• बच्चों में बढ़ती हिंसक प्रवृत्ति का उल्लेख करते हुए उपरोक्त मामले में उपजे द्वंद्व की चर्चा कीजिये।
हल करने का दृष्टिकोण
• मामले पर निर्णय लेने से पूर्व ध्यान रखे जाने वाले पहलुओं की चर्चा कीजिये।
• किशोरों में बढ़ती हिंसक प्रवृत्ति के पीछे के कारणों की चर्चा कीजिये।
• इस प्रवृत्ति पर नियंत्रण हेतु उपाय सुझाइये।
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हाल के दिनों में किशोरों की हिंसक प्रवृत्ति में काफी उभार देखने को मिल रहा है। नोएडा में एक बारहवीं के बच्चे ने दूसरी कक्षा के बच्चे की हत्या कर दी, नोएडा में एक किशोर ने अपनी माँ व छोटी बहन की हत्या कर दी। इसी प्रकार की अन्य घटनाएँ देश के विभिन्न भागों में देखने-सुनने को मिलती रहती हैं।
दी गई परिस्थिति एक संवेदनशील प्रश्न को इंगित करती है। एक तरफ एक मासूम बच्चे की हत्या के मामले में आरोपी को सज़ा तथा पीड़ित पक्ष को न्याय मिलना चाहिये तो वहीं, दूसरी ओर आरोपी किशोर के भविष्य को भी ध्यान में रखा जाना चाहिये और उसे सुधरने का एक मौका मिलना चाहिये।
उक्त मामले में कोई निर्णय देने से पूर्व मैं निम्नलिखित बातों पर ध्यान दूँगा/दूँगी-
- छात्र की मानसिक स्थिति ठीक है या नहीं। इसके लिये एक मनोचिकित्सक द्वारा जाँच की व्यवस्था करवाऊँगा/करवाऊँगी।
- किन परिस्थितियों में छात्र ने हत्या की? क्या यह हीट ऑफ द मोमेंट (Heat of the Moment) या पूर्व तैयारी पर आधारित था?
- छात्र को अपने कृत्य पर दु:ख और शोक है या नहीं?
- छात्र के चरित्र में सुधार की संभावनाओं का भी अध्ययन करूँगा/करुँगी और उसी के अनुरूप निर्णय लूँगा/लूँगी।
किशोरों में बढ़ती हिंसक प्रवृत्तियों और स्कूलों में होने वाली हिंसा के लिये कई कारण उत्तरदायी हैं। प्रमुख कारणों को हम निम्नलिखित रूप में समझ सकते हैं-
- यदि भारतीय संदर्भ में देखें तो परवरिश की समस्या एक प्रमुख कारण के रूप में उभर कर सामने आ रही है। वर्तमान समय में माता-पिता दोनों ‘कामकाजी’ हैं और एकल परिवार का प्रचलन बढ़ा है जिससे बच्चों में एकाकीपन व कुंठा बढ़ी है।
- तकनीक का कुप्रभाव एक अन्य प्रमुख कारण है। इंटरनेट व मोबाइल गेम्स तथा हिंसक फिल्मों, वीडियो आदि ने बाल मन को गहरे स्तर पर दुष्प्रभावित किया है।
- ड्रग तथा एल्कोहल की लत ने भी किशोरों को हिंसक तथा उग्र बनाने में अपनी भूमिका अदा की है।
- इसके अतिरिक्त चिंता, ईर्ष्या, हीन भावना, क्रोध आदि नकारात्मक भावनाओं ने भी युवाओं व किशोरों को हिंसक बनाने का कार्य किया है।
- बच्चों पर माता-पिता की महत्त्वाकांक्षाओं का अतिरिक्त दबाव भी एक प्रमुख कारण है।
- विकसित देशों में खतरनाक हथियारों तक आसान पहुँच तथा विकासशील देशों की लचर कानून व न्याय व्यवस्था ने भी अप्रत्यक्ष रूप से इसमें योगदान दिया है।
नियंत्रण के उपाय
- सबसे पहले बच्चों की परवरिश पर ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है। माता-पिता, बच्चों के साथ समय व्यतीत करें, उनसे संवाद स्थापित कर उनके तनाव, चिंता, मानसिक कुंठा आदि को प्रेम व स्नेह से दूर करने का प्रयास करें।
- बच्चों पर माता-पिता अपनी महत्त्वाकांक्षाओं का अतिरिक्त दबाव न बनाएँ। बाल मनोविज्ञान को समझते हुए बच्चों की अनावश्यक तुलना न करें। जहाँ तक संभव हो बच्चों को पसंद के क्षेत्र में ही कॅरियर बनाने के लिये प्रोत्साहित करें।
- इंटरनेट, मोबाइल, गेम्स आदि पर ध्यान देते हुए बच्चों पर बेहतर निगरानी रखें।
- घर पर बच्चों के समक्ष माता-पिता झगड़ा न करें तथा एक खुशनुमा वातावरण उपलब्ध कराएँ।
- स्कूलों में एक सक्षम व मज़बूत अनुशासनात्मक तंत्र का निर्माण किया जाए तथा माता-पिता भी इसमें सकारात्मक सहयोग दें।
- इसके अतिरिक्त स्कूलों में प्रायोजित कार्यक्रमों में एक सक्षम व ‘अप टू डेट’ सुरक्षा व्यवस्था होनी चाहिये, जो परिसर में प्रवेश से पूर्व छात्रों की ठीक से जाँच करे तथा किसी प्रकार के हथियार आदि के परिसर में प्रवेश को वर्जित करे।