लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    सांस्कृतिक नियतिवाद पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिये।

    11 Nov, 2019 रिवीज़न टेस्ट्स भूगोल

    उत्तर :

    प्रश्न विच्छेद

    • सांस्कृतिक नियतिवाद की चर्चा करनी है।

    हल करने का दृष्टिकोण

    • संक्षिप्त भूमिका लिखें।

    • सांस्कृतिक नियतिवाद को स्पष्ट करें।

    भौगोलिक संकल्पनाओं के इतिहास में अनेक उपागमों का विकास हुआ, जिनमें मानव एवं प्रकृति के बीच घटित अंतर्क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। सांस्कृतिक अथवा सामाजिक नियतिवाद भी उन अनेक उपागमों में से एक है जो मानवीय कारक पर ज़ोर देता है।

    इस संकल्पना के अनुसार हमारे विचार हमारे कार्यों को निर्धारित करते हैं तथा कार्यों से पूर्व जगत की विशेषताएँ प्रकट होती हैं। मानवीय अभिरुचि, मनोकांक्षाओं और जीवन मूल्यों में क्षेत्रीय भिन्नता के कारण सामाजार्थिक विकास और सांस्कृतिक दृश्य में अंतर विकसित होता है। इस संकल्पना के अनुसार कोयले का क्षेत्र उन लोगों के लिये एक समान रूप से महत्त्वपूर्ण नहीं हो सकता है जिनके पास इसके उपयोग के लिये तकनीकी ज्ञान एवं कौशल नहीं है।

    इस संकल्पना के अनुसार वातावरण तटस्थ तत्त्व है तथा इसका उपयोग तकनीकी स्तर पर निर्भर है। प्रमुख अमेरिकी भूगोलवेत्ता उल्मान ने इसे इस प्रकार समझाने का प्रयास किया है कि एक जापानी किसान व एक अमेज़न इंडियन के लिये मृदा की उपजाऊ शक्ति का महत्त्व समान नहीं होता है। एक ही जैसी परिस्थितियों में अलग-अलग संस्कृतियाँ विकसित पाई गई हैं। द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात् यह संकल्पना ऑस्ट्रिया, हालैंड और स्वीडन में काफी लोकप्रिय हुई।

    सांस्कृतिक नियतिवाद वातावरणीय कारकों का उचित मूल्यांकन नहीं करता है। इससे दृश्य वस्तुओं अथवा घटनाओं के सामाजिक संबंधों की पूर्ण व्याख्या नहीं होती है। साथ ही, इससे प्राकृतिक वातावरण के आधार पर सांस्कृतिक भौगोलिक विभेदों की स्पष्ट व्याख्या नहीं होती है।

    To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

    Print
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2