सतत् विकास लक्ष्य, 2030 की प्राप्ति के संदर्भ में प्राकृतिक आपदाओं के द्वारा उत्पन्न की जाने वाली रुकावटों का विश्लेषण कीजिये। (200 शब्द)
उत्तर :
प्रश्न विच्छेद
• सतत् विकास लक्ष्य 2030 को प्राप्त करने के संदर्भ में प्राकृतिक आपदाओं द्वारा उत्पन्न बाधाओं को स्पष्ट करें।
हल करने का दृष्टिकोण
• भूमिका लिखें।
• सतत् विकास लक्ष्य, 2030 तथा प्राकृतिक आपदाओं द्वारा उत्पन्न बाधा की चर्चा करनी है।
• निष्कर्ष दें।
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सतत् विकास की अवधारणा से तात्पर्य ऐसे विकास से है जो आने वाली पीढ़ियों के हितों से समझौता किये बिना वर्तमान पीढ़ी की आवश्यकताओं को संपन्न करता है। इसके अंतर्गत सामाजिक-आर्थिक विकास के साथ ही पर्यावरण संरक्षण पर भी ध्यान दिया जाता है। सतत् विकास की इस अवधारणा से सामंजस्य रखते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ ने 2015 में वैश्विक स्तर पर महत्त्वाकांक्षी सतत् विकास लक्ष्य, 2030 का निर्धारण किया जिसके माध्यम से प्रकृति के साथ संतुलन रखते हुए विश्व के प्रत्येक व्यक्ति को सम्मानित जीवन जीने का अवसर उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है। किंतु दूसरी तरफ इन्हीं पर्यावरण हितैषी सतत् विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के संदर्भ में सबसे बड़ी रुकावटें प्राकृतिक आपदाएँ ही पैदा कर रही हैं। इन प्राकृतिक प्रकोपों (जैसे बाढ़, सूखा, भूकंप आदि) की बढ़ती तीव्रता व बारंबारता ने सतत् विकास लक्ष्यों के समक्ष चुनौती प्रस्तुत की है जो इस प्रकार से हैं-
- एसडीजी-1 गरीबी के सभी रूपों की पूरे विश्व से समाप्ति का लक्ष्य प्रस्तुत करता है। इस लक्ष्य की प्राप्ति के दौरान प्राकृतिक आपदा जनित तबाही से गरीबी उन्मूलन में बाधा उपस्थित हो रही है क्योंकि प्राकृतिक प्रकोपों से आर्थिक-सामाजिक सुरक्षा को खतरा उत्पन्न हो रहा है।
- प्राकृतिक प्रकोपों जैसे- बाढ़; सूखा आदि से फसलों के विनाश तथा खाद्य सामग्रियों के अभाव का संकट खड़ा हो जाता है, जिससे एसडीजी-2 के भूख की समाप्ति व खाद्य सुरक्षा का लक्ष्य बाधित होता है।
- प्राकृतिक आपदाएँ मूलभूत सुविधाओं की कमी के चलते महामारी को बढ़ाने में भी सहायक होती हैं, जिससे नागरिकों के स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ता है। फलत: एसडीजी-3 जो कि सभी आयु वर्ग के लोगों के लियेे स्वास्थ्य, सुरक्षा व स्वस्थ जीवन का लक्ष्य रखता है, बाधित होता है।
- प्राकृतिक आपदाओं के दौरान शिक्षण संस्थानों के नष्ट होने से एसडीजी-4 के समावेशी व गुणवत्तायुक्त शिक्षा को सुनिश्चित करने का लक्ष्य अवरोधित होता है। साथ ही एसडीजी-5 के तहत लैंगिक समानता व सशक्तीकरण का उद्देश्य भी शिक्षा के अभाव में अधूरा ही रह जाता है।
- जल संकट जैसी प्राकृतिक आपदाओं के कारण एसडीजी-6 के तहत स्वच्छता व पानी की सतत् उपलब्धता सुनिश्चित करना कठिन हो जाता है।
- प्राकृतिक आपदाओं के कारण आपदाग्रस्त क्षेत्र में व्यक्ति तथा समाज के समक्ष आय अर्जन की समस्या खड़ी हो जाती है, जिससे एसडीजी-8 के पूर्ण व उत्पादक रोज़गार का लक्ष्य अवरोधित होता है।
- एसडीजी-17 सतत् विकास के लिये वैश्विक भागीदारी को पुनर्जीवित करने के अतिरिक्त कार्यान्यवन के साधनों को मज़बूती प्रदान करने का लक्ष्य रखता है, जिसके अंतर्गत तकनीकी के प्रयोग से सरकारी सेवाओं को जनता तक पहुँचाने का लक्ष्य रखा गया है किंतु यह लक्ष्य भी प्राकृतिक आपदाओं से अवरुद्ध होता है। हाल ही में दक्षिण भारत में आए तूफान ‘वरदा’ ने जीपीआरएस प्रणाली को ही रोक दिया जिसके कारण डिजिटल लेन-देनों में भी बाधा उत्पन्न हुई।
स्पष्ट है कि सतत् विकास लक्ष्य, 2030 की प्राप्ति से विश्व समाज में संतुलन तथा समानता का उद्देश्य पूरा होगा लेकिन प्रकृति जनित आपदाओं के कारण उत्पन्न चुनौतियों से ये लक्ष्य बाधित भी हो रहे हैं। अत: प्रकृति के साथ बेहतर सामंजस्य स्थापित करके ही इन लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सकता है।