वायुमंडल के सामान्य परिसंचरण की चर्चा कीजिये तथा बताइये कि यह किस प्रकार से महासागरों को प्रभावित करता है?
07 Nov, 2019 रिवीज़न टेस्ट्स भूगोल
प्रश्न विच्छेद • वायुमंडल के सामान्य परिसंचरण तथा महासागरों पर उसके प्रभाव को बताएँ। हल करने का दृष्टिकोण • सर्वप्रथम भूमिका लिखें। • वायुमंडलीय सामान्य परिसंचरण की चर्चा करें। • महासागरों पर इसके प्रभाव को स्पष्ट करें। |
वायुमंडलीय पवनों के प्रवाह प्रतिरूप को वायुमंडलीय सामान्य परिसंचरण के नाम से जाना जाता है। सौर विकिरण द्वारा पृथ्वी तथा वायुमंडल के असमान ऊष्मन के कारण उत्पन्न दाब प्रवणता से पवनों के प्रवाह प्रतिरूप का निर्माण होता है। यह परिसंचरण न केवल महासागरीय जल को प्रभावित करता है बल्कि स्वयं भी उससे प्रभावित होता है।
अंतर-उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र पर उच्च सूर्यातप के कारण वायु संवहन धाराओं के रूप में ऊपर उठती है जिससे यहाँ निम्न वायुदाब पेटी का निर्माण होता है। ऊपर उठती वायु ठंडी हो जाती है तथा उसका 30° उत्तर तथा 30° दक्षिण अक्षांश पर अवतलन होता है, जिससे यहाँ उपोष्ण उच्च वायुदाब पेटी का निर्माण होता है। धरातल के निकट वायु का पुन: विषुवत वृत की ओर अपसरण होता है। इस प्रकार एक परिसंचरण कोष्ठ का निर्माण होता है, जिसे ‘हेडले कोष्ठ’ कहते हैं।
मध्य अक्षांशीय वायु परिसंचरण में उपोष्ण उच्च वायुदाब से पवनें उपध्रुवीय निम्नदाब की ओर प्रवाहित होती हैं और 60° अक्षांश के पास संवहन धाराओं के रूप में ऊपर उठती हैं। ये पवनें विषुवत रेखा और ध्रुव की ओर विस्थापित होती हैं। विषुवत रेखा की ओर विस्थापित पवनों का उपोष्ण उच्च वायुदाब पेटी पर अवतलन होता है। इस प्रकार निर्मित परिसंचरण कोष्ठ को ‘पैरल कोष्ठ’ के नाम से जाना जाता है।
दोनों गोलार्द्धों में 60°–90° अक्षांशों के मध्य ध्रुवीय ठंडी हवाएँ उपध्रुवीय निम्नदाब की ओर प्रवाहित होती हैं तथा कोरियालिस बल के कारण ध्रुवीय हवाओं की दिशा पूर्वी हो जाती है। 60°–65° अक्षांशों के मध्य पृथ्वी के घूर्णन के कारण ऊपर उठती हवाएँ क्षोभमंडल में पहुँचकर ध्रुवों तथा भूमध्य रेखा की ओर मुड़ जाती हैं। ध्रुवों पर अवतलित वायु ‘ध्रुवीय कोष्ठ’ का निर्माण करती है।
वायुमंडल का सामान्य परिसंचरण महासागरीय धाराओं को प्रवाहित करता है, जो पृथ्वी की जलवायु को प्रभावित करता है। प्रशांत महासागर का गर्म या ठंडा होने के संदर्भ में वायुमंडल के सामान्य परिसंचरण का अत्यधिक महत्त्व है। पीरू के तट पर ठंडी धाराओं के स्थान पर गर्म धाराओं की उपस्थिति से ‘अल नीनो’ की उत्पत्ति होती है, जो वायुमंडलीय परिसंचरण का ही परिणाम है। गल्फ स्ट्रीम भी सामान्य वायुमंडलीय परिसंचरण का ही परिणाम है। इस परिसंचरण (वायुमंडलीय) से सागरीय लवणता एवं तापमान का वितरण होता है, जिसका प्रभाव समुद्री जैव विविधता पर पड़ता है।