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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    रामवृक्ष बेनीपुरी के रेखाचित्र-लेखन पर प्रकाश डालिये।

    06 Nov, 2019 रिवीज़न टेस्ट्स हिंदी साहित्य

    उत्तर :

    हिंदी के अप्रतिम गद्यकार रामवृक्ष बेनीपुरी का हिंदी रेखाचित्र के विकास में अतुलनीय योगदान है। अपने रेखाचित्र-संग्रहों ‘लाल तारा’, ‘माटी की मूरतें’, ‘गेहूँ और गुलाब’, ‘मील के पत्थर’ आदि के माध्यम से उन्होंने हिंदी रेखाचित्र को संवेदनात्मक एवं वैचारिक गहराई तथा शिल्पगत उत्कर्ष प्रदान करने का काम किया।

    ‘लाल तारा’ संग्रह के रेखाचित्र रामवृक्ष बेनीपुरी के विद्रोही एवं मार्क्सवादी दृष्टिकोण के द्योतक हैं। ‘माटी की मूरतें’ में उन्होंने गाँव के परिचितों के आत्मीय चित्र खींचे हैं। इस संग्रह के ‘रजिया’, ‘बलदेव सिंह’, ‘सुभान खाँ’ आदि रेखाचित्रों में अनुभूतिप्रवण आत्मीयता, स्मृतियों के माधुर्य, जीवन की तिक्तता आदि को अत्यन्त सजीव भाषा में प्राणवान बनाया गया है। ‘गेहूँ और गुलाब’ के रेखाचित्र भौतिकता और आध्यात्मिकता के समन्वय पर बल देते हैं। ‘मील के पत्थर’ में मुख्यत: साहित्यकारों के रेखाचित्र हैं।

    यथार्थ के साथ कल्पना और भावुकता का समन्वय, विषय-वैविध्य तथा शब्दों एवं वाक्यों का सधा प्रयोग रामवृक्ष बेनीपुरी के रेखाचित्रों की ऐसी विशेषताएँ हैं जो उन्हें स्मरणीय बना देती हैं। सहज भाषा, प्रचलित मुहावरों आदि के प्रयोग के कारण अन्य रेखा चित्रकारों की अपेक्षा उनके रेखाचित्र पाठकों को अधिक आकृष्ट करते हैं। उनकी भाषा-शैली का एक उदाहरण प्रस्तुत है-

    ‘कि अचानक, लो यह क्या? वह रजिया चली आ रही है। रजिया वह बच्ची। अरे रजिया फिर बच्ची हो गई? कानों में वे ही बालियाँ, गोरे चेहरे पर वे ही नीली आँखें, वही भर बाँह की कमीज, वे ही कुछ लटें जिन्हें सम्हालती बढ़ी आ रही है। बीच में चालीस-पैंतालिस साल का व्यवधान। अरे मैं सपना तो नहीं देख रहा?’

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