‘‘नए भारत के निर्माण में अग्रसर नारी शक्ति’’ ये कथन कहाँ तक सत्य है, चर्चा कीजिये।
02 Nov, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भारतीय समाजराष्ट्र के निर्माण में उसके समग्र विकास में महिलाओं का लेखा-जोखा और उनके योगदान का दायरा असीमित है। अपने अस्तित्व की स्वतंत्रता कायम रखते हुए आज नारी पुरुषों के समकक्ष खड़ी है। आज विकास पथ पर अग्रसर होती नारी विधि, अकादमिक, साहित्य, संगीत, नृत्य, खेल, मीडिया, उद्योग आदि भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में नए भारत के निर्माण में योगदान दे रही हैं।
नए भारत की तस्वीर पेश करती अग्नि-पुत्री डॉ. टेसी थॉमस, चंद्रयान-2 के सफल प्रक्षेपण में शामिल एम. वनिता और रितु भारत के अंतरिक्ष में नए कदमों की सहभागी बन रही है। वही पहली पूर्णकालिक रक्षामंत्री व वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण राजनीति के नए आयाम खोल रही है।
छ: बार की विश्व विजेता बॉक्सर एम.सी. मैरीकॉम, एशियन सैटेलाइट चैंपियनशीप को दो बार जीतने वाली साइना नेहवाल, ग्रैंड मास्टर तानिया सचदेव, लगातार छ: स्वर्ण पदक जीतने वाली एथलीट हीमा दास नारी सशक्तीकरण के साथ-साथ भारत को विश्व पटल पर गौरान्वित कर रही हैं।
एफ.ए.ओ. (FAO) के अनुसार भारतीय कृषि में महिलाओं की भूमिका लगभग 32: है जो ग्रामीण परिवेश में महिलाओं की अर्थव्यवस्था में भागीदारी की सूचक है।
रूढ़िवादिता को दरकिनार करते हुए मीडिया में महिलाओं की भागीदारी अमेरिका, ब्रिटेन जैसे विकसित देशों के समकक्ष है। पुलिस एवं सशस्त्र बलों जहाँ एक समय पुरुषाें का ही वर्चस्व हुआ करता था आज वहाँ तनुश्री पारिक, भावना कांत, अपनी चतुर्वेदी जैसे नाम सुनाई देने लगे हैं जो नए भारत निर्माण में सशक्त नारी की भागदारी का परिणाम है।
किरण मजुमदार शाह, इंदु जैन, अदिति गुप्ता जैसी उद्यमी महिलाएँ और पारिवारिक जिम्मेदारियों के निर्वहन के साथ कार्यस्थलीय उत्तरदायित्व को निभाती महिलाएँ आज नए युग के भारत को नींव दे रही हैं।
लेकिन भारत में आज भी महिलाएँ मानसिक, शारीरिक, सामाजिक शोषण से मुक्त नहीं हो पाई हैं, जो नारी-उत्थान के साथ-साथ देश के समग्र एवं यथेष्ट विकास में बाधा बन रहा है। सामाजिक एवं मानसिक पूर्वाग्रहों की बाधाओं को दूर करते हुए विकासशील से विकसित की खाई को पाटना वर्तमान की जरूरत है।