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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    हाल ही में जारी ‘ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस रिपोर्ट’ के विशेष संदर्भ में भारतीय विनिर्माण क्षेत्रक की प्रमुख समस्याओं पर प्रकाश डालें एवं इनके निवारण के उपायों की चर्चा करें। (250 शब्द)

    01 Nov, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    उत्तर :

    प्रश्न विच्छेद

    • ईज़ ऑफ डूंइग बिज़नेस रिपोर्ट,2019 का भारत के संदर्भ में उल्लेख करना है।

    • इस संदर्भ में भारतीय विनिर्माण क्षेत्र की समस्याएँ तथा उनके निवारण के उपाय।

    हल करने का दृष्टिकोण

    • संक्षेप में भूमिका लिखें।

    • ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस रिपोर्ट 2019 का उल्लेख करें।

    • विनिर्माण क्षेत्र की प्रमुख समस्याएँ तथा इनके निवारण के लिये सरकार द्वारा किये गए प्रयास तथा अपने उपाय बताएँ।

    • अंत में निष्कर्ष लिखें।

    भारत में विनिर्माण क्षेत्र सबसे ज़्यादा वृद्धि दर प्राप्त करने वाले क्षेत्रों में से एक है, विनिर्माण क्षेत्र में 2020 तक दुनिया के पाँच सबसे बड़े देशों में भारत के शामिल होने की संभावना है। इस संभावना को ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस रिपोर्ट, 2019 और ज़्यादा प्रबल बनाती है।

    विश्व बैंक द्वारा जारी व्यापार सुगमता सूचकांक (Ease Of Doing Business) में भारत को 190 देशों में से 63वाँ स्थान प्राप्त हुआ है। उल्लेखनीय है कि भारत का पिछले वर्ष 77वाँ स्थान और 67.3 स्कोर था। भारत ने इस वर्ष 14 स्थान के सुधार के साथ अपने स्कोर को भी 71.0 कर लिया है।

    यद्यपि ईज़ आफ डूइंग बिज़नेस रिपोर्ट, 2019 में भारत को व्यवसाय आरंभ करने, अनुबंध लागू करने तथा निर्माण परमिट जारी करने जैसे क्षेत्रों में पीछे बताया गया है जो कि विनिर्माण क्षेत्र के विकास में प्रमुख बाधा है। इसके अतिरिक्त भी विनिर्माण क्षेत्र की अन्य समस्याएँ हैं, जैसे:

    • इस क्षेत्र में ओवर कैपेसिटी का होना। विश्व में संरक्षणवाद के बढ़ने के कारण हमारे उत्पादों के विपणन के लिये बाज़ार की समस्या हो रही है।
    • कौशल युक्त श्रम बल की कमी, जिसके कारण उत्पादों की गुणवत्ता अपेक्षाकृत कम होती है।
    • पूंजी का अभाव, जिसके कारण नए उद्यमों के लिये पर्याप्त ऋण नहीं मिल पाता। बढ़ती एनपीए की समस्या ने इसे और जटिल बना दिया है।
    • अपेक्षाकृत उन्नत तकनीकी का अभाव तथा शोध एवं अनुसंधान के क्षेत्र में पिछड़ापन।

    उपर्युक्त समस्याओं के समाधान के लिये सरकार द्वारा कई प्रयास किये गए हैं, जैसे:

    • राष्ट्रीय विनिर्माण नीति के तहत 2022 तक जीडीपी में विनिर्माण क्षेत्र का अंश 16-17 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत करने का लक्ष्य है।
    • स्किल इंडिया, प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना।
    • विनिर्माण हब बनाने के उद्देश्य से मेक-इन इंडिया कार्यक्रम।
    • पूंजी की समस्या से निपटने के लिये सिडबी बैंक, मुद्रा बैंक आदि की स्थापना।

    लेकिन उपर्युक्त प्रयासों की प्रभावशीलता में वृद्धि तथा भारत को विनिर्माण हब बनाने के लिये निम्नलिखित उपायों को भी अपनाना चाहिये:

    • विश्वस्तरीय औद्योगिक ढाँचा तथा अनुकूल व्यापारिक वातावरण निर्मित करना।
    • हाई-टेक निर्माण उद्योग क्षेत्र में शोध एवं अनुसंधान तथा निवेश को बढ़ावा देकर अधिक-से-अधिक विशेषज्ञों को आकर्षित करना होगा। इस संदर्भ में दक्षिण कोरिया से सीख ली जा सकती है।
    • अधिक-से-अधिक कारखाने लगाने की दिशा में आगे बढ़ना चाहिये।
    • सरकार द्वारा शुरू किये गए कार्यक्रमों एवं कानूनों के प्रभावी क्रियान्वन एवं निगरानी के लिये संस्थागत तंत्र का निर्माण किया जाना चाहिये।

    निष्कर्षत: कहा जा सकता है कि विनिर्माण क्षेत्र के लिये प्रारंभ किये गए सुधारों का असर दिखने लगा है लेकिन उपर्युक्त उपायों को अपनाकर राष्ट्रीय विनिर्माण नीति के लक्ष्य एवं विश्वस्तरीय विनिर्माण हब की दिशा में और तेज़ी से आगे बढ़ा जा सकता है।

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