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प्रश्न :
भारत के भू-जल परिदृश्य में आए बदलाव से उत्पन्न समस्याओं एवं उपायों को गिनाइये। (200 शब्द)
31 Oct, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोलउत्तर :
प्रश्न विच्छेद
• भू-जल परिदृश्य में बदलाव से उत्पन्न समस्याओं की चर्चा करनी है। समाधान भी बताना है।
हल करने का दृष्टिकोण
• भू-जल परिदृश्य में आए बदलाव को संक्षेप में बताएँ।
• समस्याओं का उल्लेख करें।
• समस्या से निपटने के उपाय बताएँ।
देश में पिछले दशकों के दौरान भू-जल के इस्तेमाल में कई गुना वृद्धि हुई है जिससे पंजाब, राजस्थान, हरियाणा और बुंदेलखंड सहित कई क्षेत्रों में कृषि कार्यों हेतु खतरा उत्पन्न हो रहा है। इससे भविष्य में खाद्य सुरक्षा के लिये गंभीर खतरा पैदा होने की संभावना है।
वर्तमान में देश में गाँवों की घरेलू आवश्यकता का 80 प्रतिशत, सिंचाई एवं औद्योगिक आवश्यकता का 65 प्रतिशत तथा शहरी जल की आवश्यकता का 50 प्रतिशत भू-जल संसाधन से पूरा किया जा रहा है। भू-जल के निरंतर और अंधाधुंध दोहन ने विभिन्न समस्याओं को जन्म दिया है जिसे निम्नलिखित संदर्भ में देखा जा सकता है-
- भू-जल स्तर के अधिक नीचे चले जाने के कारण कुओं और सामान्य हैंडपंपों के पेल हो जाने से पेयजल संकट।
- प्रमुख खाद्यान्न उत्पादक क्षेत्रों में कृषि कार्यों के लिये जल की अनुपलब्धता के कारण भविष्य में खाद्य सुरक्षा के संकट की आशंका।
- जलभराव और खारापन की समस्या से फसल की उत्पादकता कम होती है।
- भू-जल के पुनर्भरण की स्थिति में बदलाव आ सकता है।
- अत्यधिक दोहन से भू-जल की गुणवत्ता में ह्रास।
उपर्युक्त समस्याओं से निपटने के लिये निम्नलिखित उपाय किये जा सकते हैं-
- प्रभावकारी प्रबंधन योजनाओं को व्यवहार में लाना।
- इज़राइल से शुष्क खेती और जल संरक्षण से संबंधित तकनीक प्राप्त करना।
- वर्षा जल संचयन एवं भूजल पुनर्भरण हेतु प्रभावी नीति का निर्माण।
- अतिदोहन वाले अथवा भूमिगत जल गुणवत्ता प्रभावित क्षेत्रों में दीर्घकालिक प्रबंधन एवं नियोजन की रणनीति।
- कृषि सिंचाई के लिये नहर सिंचाई सुविधा का विकास।
- आम लोगों को जागरूक कर जल संरक्षण में उनकी भागीदारी को सुनिश्चित करना।
देश में भू-जल संसाधनों के संरक्षण एवं पूनर्भरण के लिये वर्षा जल संचयन एवं रिचार्ज कार्यक्रमों को एकीकृत ढंग से लागू करने की आवश्यकता है। इन कार्यक्रमों में जनता की भागीदारी को सुनिश्चित कर वर्तमान एवं भविष्य की संभावित समस्याओं से निपटना आसान हो जाएगा।
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