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प्रश्न :
‘भारत सरकार की अग्रसक्रिय नीति के तहत बी.एस. VI मानकों को पर्यावरण को स्वच्छ रखने के उद्देश्य से अपनाया गया है।’ इस कथन के संदर्भ में भारत में वायु प्रदूषण की भयावह स्थिति तथा भारत स्टेज VI मानकों को विश्लेषित कीजिये। (200 शब्द)
30 Oct, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 3 पर्यावरणउत्तर :
प्रश्न विच्छेद
• वायु प्रदूषण के रोकथाम हेतु भारत स्टेज VI मानक को स्पष्ट करना है।
हल करने का दृष्टिकोण
• भूमिका लिखें।
• भारत स्टेज VI मानक का विस्तृत विश्लेषण कीजिये।
• वायु प्रदुषण को कम करने में इसकी उपयोगिता को स्पष्ट करें।
• निष्कर्ष दें।
भौतिकतावाद की बढ़ती संस्कृति ने पर्यावरण को क्षति पहुँचाने का काम किया है। इसका उदाहरण हम महानगरों में निजी वाहनों के बढ़ते प्रयोग और उससे उत्पन्न वायु प्रदूषण के रूप में देख सकते हैं। वायु प्रदूषण की खतरनाक स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब उच्चतम न्यायालय ने देश की राजधानी दिल्ली को बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण गैस चेम्बर की संज्ञा दे दी। देश में बढ़ते वायु प्रदूषण की भयावह स्थिति का सामना करने हेतु भारत सरकार द्वारा भारत स्टेज-VI के उच्च मानकों से युक्त वाहन ईंधन के प्रयोग की शुरुआत कर दी गई है, जिससे देश में विकराल होती वायु प्रदूषण की स्थिति का सामना करने में सहायता मिल सकेगी।
- यूरो-VI मानक पर आधारित बी.एस.VI वाहन ईंधन को भारत सरकार ने विकराल होती वायु प्रदूषण की समस्या के कारण दो वर्ष पूर्व ही देश में लागू कर अपनी अग्रसक्रिय नीति को प्रदर्शित किया है। अप्रैल 2020 से लागू होने वाले मानक को अप्रैल 2018 में दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में लागू कर दिया गया है। अप्रैल 2019 से अन्य 13 बड़े शहरों में तथा अप्रैल 2020 से यह मानक पूरे देश में क्रियान्वित कर दिया जाएगा।
- भारत स्टेज-VI मानक का संबंध वाहनों में प्रयोग किये जाने वाले उत्सर्जन मानकों से है जिनसे पर्यावरण पर सीधा असर पड़ना स्वभाविक है तथा वाहनों द्वारा उत्सर्जित प्रदूषण में कमी लाने हेतु यह उपाय अति कारगर साबित हो सकता है। भारत स्टेज-VI मानक ईंधन में सल्फर की मात्रा भारत स्टेज-IV मानक की तुलना में 4 से 5 गुना कम होती है, इसी कारण इसे स्वच्छ ईंधन भी कहा जाता है।
- भारत स्टेज-VI मानक के लागू होने के बाद वायु में विद्यमान पर्टिकुलेट मेटर (PM) की मात्रा घटेगी। अंतर्राष्ट्रीय मानकों के आधार पर हवा में पी.एम. 2.5 की मात्रा 60 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से ज़्यादा नहीं होनी चाहिये जबकि, वायु प्रदूषण से प्रभावित दिल्ली शहर में पी.एम. 2.5 की मात्रा 400 माइक्रोग्राम से भी अधिक हो जाती है। भारत स्टेज VI मानकों के प्रयोग से फ्यूल में पी.एम. 2.5 की मात्रा को 20 से 40 एमजीसीएम पर निर्धारित किया गया है। भारत स्टेज VI मानक का डीज़ल नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, कार्बनमोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड के मामलों में भी पर्यावरण हितैषी है। परिणामस्वरूप पर्यावरण प्रदूषण को प्रभावी ढंग से रोका जा सकेगा।
स्पष्ट है कि भारत स्टेज-IV पर आधारित ईंधन के प्रयोग से वायु में विद्यमान ज़हरीली गैसों की मात्रा को कम किया जा सकेगा। परिणामस्वरूप प्रदूषण से होने वाली बीमारियों पर नियंत्रण लग सकेगा, जिससे स्वास्थ्य पर होने वाला अनावश्यक व्यय भी समाप्त होगा तथा स्वच्छ हवा जैसी मूलभूत आवश्यकताओं को आम जनमानस के लिये सुलभ किया जा सकेगा।
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