मौर्य साम्राज्य की तकनीकी प्रगति, धार्मिक सहिष्णुता और भौगोलिक एकता उसकी कला में परिलक्षित होती है। मौर्यकालीन गुफाओं, स्तूपों एवं स्तंभों के माध्यम से उपर्युक्त कथन की विवेचना कीजिये। (150 शब्द)
25 Oct, 2019 रिवीज़न टेस्ट्स इतिहास
प्रश्न विच्छेद • मौर्यकालीन कला यथा-गुफाओं, स्तूपों एवं स्तंभों के माध्यम से उसकी तकनीकी प्रगति, धार्मिक सहिष्णुता और भौगोलिक एकता को स्पष्ट करना है। हल करने का दृष्टिकोण • संक्षेप में मौर्यकालीन स्थापत्य कला को स्पष्ट करते हुए उत्तर प्रारंभ करें। |
भारतीय स्थापत्य कला के क्षेत्र में मौर्यकालीन स्थापत्य कला का महत्त्वपूर्ण स्थान है। इस काल में ही सर्वप्रथम स्थापत्य कला के सुसंगठित क्रिया-कलाप के दर्शन होते हैं। इस काल में ही कला के क्षेत्र में सर्वप्रथम पाषाण का प्रयोग कर इसे चिरस्थायी स्वरूप प्रदान किया गया। अशोक के काल तक आते-आते मौर्यकालीन स्थापत्य अपने चरमोत्कर्ष पर था। इसके समय में स्तंभ, स्तूप, वेदिका तथा गुफाओं का अधिक संख्या में निर्माण किया गया जो भौगोलिक एकता को सूचित करने के साथ-साथ तकनीकी प्रगति तथा धार्मिक सहिष्णुता के भी परिचायक हैं।
मौर्यकालीन स्थापत्य अपने तकनीकी स्वरूप में काफी उत्कृष्ट था। स्वतंत्र रूप से विकसित अशोक का स्तंभ एकाष्मक पत्थर से तराशकर बनाए गए हैं जिन्हें बिना किसी आधार के भूमि पर टिकाया गया था। सपाट प्रकार के अशोक के स्तंभ नीचे से ऊपर की ओर पतले होते गए हैं। इस स्तंभ की सबसे बड़ी विशेषता यह थी की इस पर पशुआें की आकृति को प्रधानता दी गई है तथा यह उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम भारत सभी जगह से मिले हैं जो मौर्य साम्राज्य की भौगोलिक एकता को दर्शाता है। चैत्य का निर्माण पर्वत गुफाओं को खोदकर किया जाता था। स्तूप में एक मेधि के ऊपर उल्टे कटोरे की आकृति के एक गुहा का निर्माण किया जाता था जिसे ‘अंड’ कहा जाता था। स्तूप के सबसे ऊपर चोटी पर धर्मिका का निर्माण किया जाता था। अत: मौर्यकालीन तकनीकी कौशल बेहतर स्थिति में था।
अशोक के सारनाथ स्तंभ में उत्कीर्ण सिंह शीर्ष सर्वोत्कृष्ट है जो चक्रवर्ती सम्राट अशोक की शक्ति के प्रतीक के रूप में स्थापित है तथा इससे धर्म के प्रचार की सूचना प्राप्त होती है। विभिन्न स्थानों से प्राप्त अशोक के शिलालेख उसके भौगोलिक प्रसार को संदर्भित करते हैं। सारनाथ स्तंभ में सिंहों के मस्तक पर महाधर्मचक्र स्थापित किया गया जिसमें मूलत: 32 तीलियाँ हैं जो शक्ति के ऊपर धर्म के विजय को संदर्भित करता है। इसमें बुद्ध तथा अशोक दोनों का व्यक्तित्व दृष्टिगोचर होता है। अशोक का स्तंभ उसके ‘धम्म’ के स्वरूप को स्पष्ट करता है।
स्तूप का निर्माण बुद्ध की समाधियों के रूप में किया गया था जो बौद्ध धर्म में अपार आस्था को प्रकट करता है। इस काल में पर्वत गुफाओं को काटकर आजीवकों के लिये निवास स्थान बनाने की कला का भी विकास हुआ था जिसमें ‘सुदामा की गुफा’ तथा ‘कर्ण चौपड़’ नामक गुफा महत्त्वपूर्ण है। यह कार्य धार्मिक सहिष्णुता को दर्शाता है।
इस प्रकार उपरोक्त विश्लेषण के आधार पर कहा जा सकता है कि मौर्यकालीन स्थापत्य के अंतर्गत शामिल गुफाएँ, स्तूप एवं स्तंभ इस काल की तकनीकी प्रगति, धार्मिक सहिष्णुता और भौगोलिक एकता को संदर्भित करते हैं।