युद्ध के नए तरीकों के उद्भव एवं गैर-राज्य अभिकर्त्ताओं से उत्पन्न खतरे की विविधता के आलोक में, भारत के लिये एक नए राष्ट्रीय सुरक्षा सिद्धांत की आवश्यकता का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिये। (250 शब्द)
उत्तर :
प्रश्न विच्छेद
• युद्ध के नए तरीके तथा गैर-राज्य अभिकर्त्ताओं से उत्पन्न खतरे को बताना है। • एक नए राष्ट्रीय सुरक्षा सिद्धांत की आश्यकता पर बल देना है।
हल करने का दृष्टिकोण
• सर्वप्रथम परिचय दें। • युद्ध के नए तरीकों तथा गैर-राज्य अभिकर्ताओं से उत्पन्न खतरों को बताना है। • नए राष्ट्रीय सुरक्षा सिद्धांत की आवश्यकता को स्पष्ट करना है। • अंत में निष्कर्ष लिखना है।
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वर्तमान सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी तथा परमाणु हथियारों के युग में युद्ध की पंरपरागत पद्धतियों का महत्त्व कम हो गया है। ऐसे में युद्ध के नए तरीकों का प्रयोग बढ़ा है तथा गैर-राज्य अभिकर्त्ताओं की उपस्थिति ने राष्ट्रीय सुरक्षा के समक्ष गंभीर प्रश्न खड़ा कर दिया है।
युद्ध के नए तरीकों तथा गैर-राज्य अभिकर्त्ताओं से उत्पन्न खतरे को निम्न रूपों में देखा जा सकता है-
- साइबर स्पेस को युद्ध के पाँचवें क्षेत्र के रूप में स्वीकार किया जाता है। विभिन्न वायरस के माध्यम से शत्रु देश द्वारा किसी राष्ट्र की संवेदनशील सूचना प्रणाली को नष्ट कर उसे अस्थिर करने का प्रयास किया जाता है।
- गैर-राज्य अभिकर्त्ताओं में आतंकवाद, संगठित अपराध तथा मादक पदार्थों के तस्कर प्रमुख हैं। जैसे- दाउद कंपनी।
- आतंकवादी हमलों के माध्यम से देश को अस्थिर करने का प्रयास किया जाता है। हाल में पठानकोट पर हुआ हमला इसका उदाहरण है।
- उग्रवाद एवं अलगाववाद को बढ़ावा देकर सुरक्षा के लिये चुनौती प्रस्तुत करना भी युद्ध का एक रूप है।
- ऐसे में प्रत्यक्ष युद्ध किये बिना ही किसी राष्ट्र की संप्रभुता एवं अखंडता के लिये चुनौती प्रस्तुत किया जा सकता है। तथा उसकी अर्थव्यवस्था एवं सैन्य व्यवस्था को कमज़ोर किया जा सकता है।
चूँकि भारत युद्ध के नए रूपों तथा गैर-राज्य अभिकर्त्ताओं से उत्पन्न खतरों का भुक्तभोगी रहा है। इस संदर्भ में भारत के लिये एक नए राष्ट्रीय सुरक्षा सिद्धांत की आवश्यकता है, क्योंकि:
- भारत के पास अभी एकीकृत राष्ट्रीय सुरक्षा सिद्धांत का अभाव है। भारत में केवल रक्षा संस्थानों के लिये बाह्य सुरक्षा सिद्धांत स्वीकार किये गए हैं। अत: आंतरिक सुरक्षा के लिये ऐसे सिद्धांतों को अपनाने की आवश्यकता है।
- भारत में खुफिया एजेंसियों के कामकाज में अस्पष्टता है।
- ये सिद्धांत किसी आंतकी घटना को रोकने में हुई विफलता के लिये सुरक्षा प्रतिष्ठानों की जवाबदेहिता सुनिश्चित करेंगे।
- देश के नागरिकों को भरोसा दिलाया जा सके कि उनकी सुरक्षा के लिये उचित व्यवस्था मौजूद है।
यद्यपि भारत ने अपनी बाह्य एवं आंतरिक सुरक्षा के लिये पर्याप्त व्यवस्था को अपनाया है। इस आधार पर कुछ आलोचक नए राष्ट्रीय सुरक्षा सिद्धांत को अस्वीकार करते हैं। लेकिन जिस तरह से हाल के समय में साइबर हमले, आतंकवादी घटनाएँ हो रही हैं, ऐसे में एक नया राष्ट्रीय सुरक्षा सिद्धांत आवश्यक हो गया है।