आप केंद्रीय विश्वविद्यालय में सहायक प्राध्यापक के रूप में कार्यरत हैं। आप अपनी एक सहकर्मी के प्रति आकर्षित हैं और उसे विवाह का प्रस्ताव देते हैं। वह खुशी-खुशी इसे स्वीकार कर लेती है। आपके इस निर्णय को आप दोनों के परिवार वाले भी खुशी-खुशी सहमति प्रदान कर देते हैं। एक दिन रात्रि भोजन के लिये वह आपको अपने घर पर आमंत्रित करती है और आपको अपने मम्मी, पापा व भाई-बहन से मिलवाती है। आपको सबका व्यवहार काफी अच्छा व आत्मीय लगता है। भोजन के उपरांत वह आपको घर दिखाने ले जाती है। घर के एक कोने में आपको छोटा सा कमरा दिखता है जो घर के बाकी हिस्सों की तुलना में काफी गंदा व अस्त-व्यस्त है और उसके भीतर से आपको एक बूढ़ी महिला के खाँसने की आवाज़ सुनाई देती है। आपके पूछने पर वह बताती है कि बूढ़ी औरत उसकी दादी है जो मानसिक रूप से बीमार है और सबको परेशान करती है, इसलिये उन्हें अलग रखा जाता है। जब आप स्वयं उसकी दादी से मिलते हैं और बात करते हैं तो पाते हैं कि वह एकदम सामान्य है। बातों-बातों में आपको यह भी पता चलता है कि परिवार वाले उनके साथ एकदम उदासीन व उपेक्षित व्यवहार करते हैं। (250 शब्द)
(a) इस पूरे प्रकरण को आप किस रूप में देखते हैं?
(b) उक्त प्रकरण के आलोक में हमारे देश में वृद्धों की समस्या पर संक्षिप्त टिप्पणी करें और इसके समाधान के उपाय भी सुझाएँ।
(a) उक्त प्रकरण हमारे सामाजिक व पारिवारिक मूल्यों में आए ह्रास को दर्शाता है। वर्तमान समय में वृद्धों का असम्मान, एकाकीपन व उनके प्रति असंवेदनशील व्यवहार समाज की एक बड़ी समस्या के रूप में उभरकर सामने आया है। जीवन की भागदौड़ में बुज़ुर्गों की उपेक्षा लगातार बढ़ती जा रही है। भारत में संयुक्त परिवार व्यवस्था का चरमराना बुर्ज़ुंगों के लिये नुकसानदायक साबित हुआ है। वर्तमान भौतिकतावादी संस्कृति के प्रसार ने भी इस समस्या को बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
(b) वर्ष 2011 की जनगणना के आँकड़ों के अनुसार, भारत में 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों का प्रतिशत कुल जनसंख्या में लगभग 8.6 है। जन-स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के कारण आने वाले वर्षों में कुल जनसंख्या में वृद्ध जनसंख्या का प्रतिशत तेज़ी से बढ़ने की उम्मीद है जो अपने साथ कई समस्याओं को लेकर आएगी। वृद्धावस्था की अपनी समस्याएँ है जो शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित हैं इसके अतिरिक्त भी कई अन्य समस्याएँ हैं जो बदलते सामाजिक-पारिवारिक मानदंडों के कारण उत्पन्न हो रही हैं जिसे हम निम्नलिखित रूपों में देख सकते हैं-
बुज़ुर्ग हमारे परिवार व समाज के आधार स्तंभ हैं। यदि आधार कमज़ोर होगा तो हमारा समाज भीतर से खोखला होता जाएगा, इसलिये आज आवश्यकता है बुजुर्गों के प्रति संवेदनशील व सहयोगात्मक व्यवहार की।
स्नेह व प्रेम की मीठी बात बुज़ुर्गों में जीने की आस व चाह बढ़ाती है। अत: स्नेह व आत्मीय व्यवहार बुज़ुर्गों के प्रति हमारी सच्ची श्रद्धा व सम्मान होगा।
अपने परंपरागत सामाजिक व पारिवारिक मूल्यों के प्रति लोगों को जागरूक बनाया जाना चाहिये।
बुज़ुर्गों के स्वास्थ्य व सुरक्षा के बेहतर प्रबंध किये जाने की आवश्यकता है।
बुज़ुर्गों को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिये वृद्धावस्था पेंशन का दायरा बढ़ाया जाए।