दुर्लभ खगोलीय घटना ‘सुपरमून’, ‘ब्लूमून’ और ‘ब्लडमून’ की संक्षिप्त चर्चा कीजिये।
22 Oct, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोल
प्रश्न विच्छेद
हल करने का दृष्टिकोण
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31 जनवरी, 2018 को एक दुर्लभ खगोलीय घटना देखने को मिली जिसे ‘सुपर ब्लू ब्लड मून’ कहा जाता है। ऐसी घटना 35 वर्ष पूर्व दिसंबर 1982 में देखी गई थी। इस कारण यह घटना न केवल सामान्य लोगों के लिये महत्त्वपूर्ण है बल्कि विश्व भर के वैज्ञानिकों के लिये शोध हेतु भी महत्त्वपूर्ण थी।
सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी के आ जाने से उसकी छाया चंद्रमा पर पड़ती है। इससे चंद्रमा का छाया वाला भाग काला दिखाई पड़ता है। इसी घटना को चंद्रग्रहण कहा जाता है। घटना की प्रकृति के अनुसार चंद्रग्रहण को सुपरमून, ब्लूमून और ब्लडमून के रूप में जाना जाता है।
सुपरमून: यह वह खगोलीय घटना है जब चंद्रमा पृथ्वी से सबसे नज़दीक वाली स्थिति (3,56,500 किमी) में होता है। घटना के दौरान चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब होता है, परिणामस्वरूप वह 14 फीसदी बड़ा और 30 फीसदी अधिक चमकीला दिखाई पड़ता है।
ब्लूमून: जब एक ही महीने में दो बार पूर्णचंद्र की घटनाएँ होती हैं तो दूसरे वाले पूर्णचंद्र को ब्लूमून कहते हैं।
ब्लडमून: इस दुर्लभ घटना में चंद्रमा लाल दिखता है। चूँकि लाल रंग सबसे लंबी तरंगदैर्ध्य वाला होता है, इसलिये परावर्तन के नियम के अनुसार लाल रंग सबसे पहले चंद्रमा तक पहुँचता है और टकराकर हमारी आँखों तक आता है। यह तभी संभव हो पाता है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा की स्थिति अपनी कक्षा में एक-दूसरे के बिल्कुल सीध में हो।
यह दुर्लभ खगोलीय घटना खगोल वैज्ञानिकों के लिये अत्यन्त महत्त्वपूर्ण रही। इस घटना से उन्हें यह समझने में सहायता मिली कि जब चंद्रमा की सतह ठंडी होगी तो इसके क्या परिणाम होंगे।