विश्वव्यापी राष्ट्रवाद के विकास पर फ्राँसीसी क्रांति के प्रभाव की चर्चा कीजिये। (250 शब्द)
उत्तर :
प्रश्न विच्छेद
• फ्राँसीसी क्रांति का वैश्विक स्तर पर राष्ट्रवाद के विकास में योगदान को स्पष्ट करें।
हल करने का दृष्टिकोण
• भूमिका में राष्ट्रवाद की अवधारणा को बताएँ। • फ्राँसीसी क्रांति तथा राष्ट्रवाद का उदय। • वैश्विक स्तर पर राष्ट्रवाद के उत्थान में फ्राँसीसी क्रांति के योगदानों की चर्चा कीजिये। • निष्कर्ष दें।
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राष्ट्रवाद एक ऐसी भावना है जिसमें आम जनता की स्वामी भक्ति राजा में समर्पित न होकर राष्ट्र के प्रति समर्पित होती है। राष्ट्रवाद की सशक्त अभिव्यक्ति तथा स्वतंत्रता की अवधारणा का उदय अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम (1776) में देखा गया, लेकिन फ्राँस की क्रांति (1789) ने राष्ट्रवाद की अवधारणा को अपने राष्ट्र की सीमाओं से बाहर निकालकर यूरोप में प्रसारित किया, जिसका प्रभाव आने वाले समय में विश्व के अन्य देशों पर भी देखा गया।
- 1789 में संपन्न फ्राँसीसी क्रांति ने फ्राँस से बूर्वो राजवंश का अंत करके राजवंश के दैवीय अधिकार की समाप्ति की घोषणा कर दी। इसके साथ ही संवैधानिक गणतंत्र की स्थापना तथा लोकतंत्रात्मक शासन प्रणाली की नींव ने फ्राँस को राष्ट्र-राज्य के रूप में स्थापित किया। फ्राँसीसी क्रांति ने मानवाधिकारों की घोषणा करने के साथ ही स्वतंत्रता, समानता व बंधुत्व की भावना को प्रतिपादित कर व्यक्ति की महत्ता को स्थापित किया। इसके फलस्वरूप जनसंप्रभुता की अवधारणा ने राजतंत्रीय संप्रभुता को समाप्त कर तथा राष्ट्र-राज्य के आदर्श को स्थापित करके राष्ट्रवाद की विचारधारा को बल प्रदान किया।
- इस प्रकार एक तरफ फ्राँसीसी क्रांति ने फ्राँस में राष्ट्रीयता व देशभक्ति की भावना को जागृत किया, तो वहीं दूसरी तरफ यूरोप के अन्य देशों में भी प्रतिक्रियावादी नीतियों के स्थान पर राष्ट्रीयता की भावना का संचार होने लगा। फ्राँसीसी क्रांति के आदर्शों के प्रसार स्वरूप इंग्लैंड ने अपनी प्रतिक्रियावादी नीतियों में सुधार किया तथा संसदीय सुधारों की मांगों को स्वीकार किया जिसे आगे चलकर चार्टिस्ट आंदोलन में स्पष्टत: देखा जा सकता है। फ्राँस की क्रांति ने इंग्लैंड के प्रभुत्व वाले आयरलैंड की जनता में राष्ट्रीयता की भावना को जगाकर उन्हें स्वतंत्रता आंदोलन हेतु खड़ा करने में सहायता की।
- राष्ट्रवाद की भावना को संपूर्ण यूरोप में प्रसारित करने तथा पुरातन व्यवस्था की जड़ों पर प्रहार करने का कार्य नेपोलियन ने किया। 1815 के वियना कॉन्ग्रेस में राष्ट्रवाद की विचारधारा को दबाकर राजतंत्रीय व्यवस्था को पुन: यूरोप में स्थापित किया गया लेकिन यूरोपीय बुद्धिजीवियों व चिंतकों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से राष्ट्रवाद की भावना को आम जनता तक पहुँचाने का प्रयत्न किया।
- राष्ट्रवाद की अवधारणा के आधार पर राष्ट्र-राज्य के निर्माण के संदर्भ में इटली व जर्मनी का एकीकरण अभूतपूर्व है। नेपोलियन वह प्रथम व्यक्ति था जिसने इटली व जर्मनी के राज्यों के भौगोलिक नामों के स्थान पर राष्ट्र के रूप में वास्तविक रूपरेखा को प्रस्तुत किया, जिसके परिणामस्वरूप इटली व जर्मनी के एकीकरण का मार्ग प्रशस्त हुआ तथा राष्ट्रवाद की उत्कृष्ट भावना का प्रसार हुआ।
- इसके अतिरिक्त राष्ट्रवाद की भावना का प्रसार तब स्पेन व पुर्तगाल में भी देखा गया जब नेपोलियन की सेना ने इन पर आक्रमण (1808 ई. में) किया। लेकिन राष्ट्रीयता की भावना के आगे नेपोलियन को हार मानकर भागना पड़ा। राष्ट्रीयता की भावना के संचार के कारण ही रूस की सेना ने 1812 ई. में अपनी भूमि से फ्राँसीसी सेना को भगाया। राष्ट्रवाद की विचारधारा ने अब यह स्पष्ट कर दिया था कि ताकतवर सेना के आगे राष्ट्र-राज्य की अवधारणा अधिक बलशाली होती है।
निष्कर्षत: आधुनिक राष्ट्रवाद की अवधारणा का विकास फ्राँस के राष्ट्र-राज्य के आदर्श में प्रस्तुत किया गया। फ्राँसीसी क्रांति के आदर्शों (स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व) ने राष्ट्रवाद की विचारधारा को स्थायित्व प्रदान किया। साथ ही इसे विश्व के अन्य राष्ट्रों तक प्रसारित किया।