लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    भौगोलिक अवधारणा के विकास पर डार्विनवाद के प्रभाव को स्पष्ट कीजिये।

    14 Oct, 2019 रिवीज़न टेस्ट्स भूगोल

    उत्तर :

    प्रश्न विच्छेद

    भौगोलिक अवधारणा के विकास में डार्विनवाद का प्रभाव।

    हल करने का दृष्टिकोण

    डार्विनवाद का संक्षिप्त परिचय दें।

    भौगोलिक अवधारणा के विकास पर इसके प्रभाव को स्पष्ट करें।

    भूगोल में डार्विन द्वारा विकसित ‘विकासवादी सिद्धांत’ को डार्विनवाद कहा जाता है। इस सिद्धांत ने भू-विज्ञान, पर्यावरणीय एवं जीव विज्ञान में आमूलचूल परिवर्तन किया। डार्विन प्राकृतिक चयन में विश्वास करता था और उसने जीवों द्वारा पर्यावरण के प्रति अनुकूलन की प्रक्रिया को स्पष्ट किया। डार्विनवाद के प्रभाव को मानव भूगोल व भौतिक भूगोल की अवधारणाओं के विकास में देखा जा सकता है।

    डार्विन ने भौतिक भूगोल के विचारों में परिवर्तन करते हुए प्राकृतिक विज्ञान की विवेचना कार्य-कारण के आधार पर की। इसी का प्रभाव था कि भूगर्भ वैज्ञानिकाें एवं जीवाश्म वैज्ञानिकों ने काल मापक के विकास पर ध्यान केंद्रित किया तथा जीवाश्मों का विश्लेषण किया। भौतिक भूगोल में भू-आकार शोध का विषय बन गया तथा भू-आकारिकी विज्ञान भौतिक भूगोल की महत्त्चपूर्ण शाखा बन गई। डेविस ने डार्विन की संकल्पना का उपयोग अपने भौगोलिक चक्र की अवधारणा में किया। डार्विनवाद से प्रभावित होकर जर्मन भू-आकारिकी वैज्ञानिकों ने भूगोल को ‘भू-दृश्य विज्ञान’ के रूप में परिभाषित किया जिसमें भूगोल को क्षेत्र विशेष के भू-आकारों पर आधारित माना जाता है।

    डार्विनवाद ने मानव भूगोल के आधारभूत नियम को प्रभावित किया तथा जर्मन एवं अमेरिकी वैज्ञानिक मानव-वातावरण संबंधों को डार्विन के विकासवादी सिद्धांत के परिप्रेक्ष्य में देखने लगे। रेटजेल, सेम्पल व हटिंग्टन के विचारों पर डार्विन के प्रभाव को देखा जा सकता है। राजनीतिक भूगोल पर डार्विन के प्रभाव का ही परिणाम था कि राष्ट्र को जीव तुल्य समझते हुए उसके सीमा विस्तार की तुलना जीव द्वारा शरीर के विस्तार से की गई।

    To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

    Print
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2