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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    बायोमेडिकल अपशिष्ट क्या है? ये अपशिष्ट किस प्रकार से पर्यावरण के लिये चुनौती बने हुए हैं? इन चुनौतियों से निपटने के संदर्भ में बायोमेडिकल अपशिष्ट प्रबंधन (संशोधन) नियम, 2018 को विश्लेषित कीजिये।

    14 Oct, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 3 पर्यावरण

    उत्तर :

    प्रश्न विच्छेद

    जैविक चिकित्सीय अपशिष्ट के बारे में बताते हुए इनसे उत्पन्न चुनौतियों को बताना है।
    जैविक चिकित्सीय अपशिष्ट प्रबंधन (संशोधन) नियम, 2018 को विश्लेषित करना है।

    हल करने का दृष्टिकोण

    जैविक चिकित्सीय अपशिष्ट का संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत करें।
    जैविक चिकित्सीय अपशिष्ट से उत्पन्न पर्यावरणीय चुनौतियों को बताएँ।
    जैविक चिकित्सीय अपशिष्ट प्रबंधन (संशोधन) नियम, 2018 को स्पष्ट कीजिये।
    निष्कर्ष दें।

    जैविक चिकित्सीय अपशिष्ट से तात्पर्य अस्पतालों, नर्सिंग होम, डिस्पेंसरी आदि से निकलने वाले उस कचरे से है जो उपयोग में लाई गई सूइयों, ग्लूकोज़ की बोतलों, एक्सपाइरी दवाइयों, दस्तानों तथा अन्य सड़ी-गली वस्तुओं के रूप में होता है। अस्पतालों से निकलने वाले इस अपशिष्ट को विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार औषधीय पदार्थ, रोगयुक्त पदार्थ, रेडियोधर्मी पदार्थ तथा रासायनिक पदार्थ में विभक्त किया जा सकता है।

    • बायोमेडिकल अपशिष्ट का मनुष्य के स्वास्थ्य व पर्यावरण पर व्यापक रूप से नकारात्मक असर पड़ता है। भारत में यह अपशिष्ट दिन- प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। एसोचैम के शोध पत्र के अनुसार, वर्तमान में मेडिकल अपशिष्ट उत्सर्जन की दर 550.9 टन प्रतिदिन है जो कि 2020 तक बढ़कर प्रतिदिन 775.5 टन हो जाएगी। जैविक अपशिष्ट की इतनी विशाल मात्रा को जब उत्तरदायी संस्थाएँ बिना आवश्यक निपटान किये खुले में छोड़ देती हैं तो इससे जल, वायु व भूमि सभी एक साथ प्रदूषित होते हैं।
    • इस बायोमेडिकल अपशिष्ट को पशुओं द्वारा खाए जाने से संक्रमण, बीमारियों के फैलने का खतरा बना रहता है। इसके अलावा ये अपशिष्ट डायोक्सिन व फ्यूरान्स जैसे आर्गेनिक प्रदूषक पैदा करते हैं जिससे केंसर, प्रजनन व विकास संबंधी परेशानियाँ पैदा हो जाती हैं। यह तत्संबंधित स्थान के भूजल एवं मृदा को प्रभावित करते हैं। साथ ही धूप एवं पानी से सड़न के कारण इससे वायु भी प्रदूषित होती है। इनसे कुछ ऐसे जीवाणुओं का विकास होता है जो पर्यावरण के साथ-साथ मानव स्वास्थ्य को भी प्रभावित करते हैं।
    • जैविक चिकित्सीय अपशिष्ट का उचित प्रबंधन हेतु बायोमेडिकल अपशिष्ट (प्रबंधन एवं निष्पादन) नियम, 1998 में संशोधन करके बायोमेडिकल अपशिष्ट प्रबंधन (संशोधन) नियम, 2018 प्रस्तुत किया गया है। इस नियम के तहत निम्नलिखित प्रावधान हैं-
    • सभी स्वास्थ्य सुविधा प्रदाताओं द्वारा अपशिष्ट प्रबंधन से संबंधित जानकारी अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर वार्षिक रिपोर्ट के रूप में उपलब्ध करानी होगी।
    • जैविक अपशिष्ट के निपटान करने वाले ऑपरेटरों को बायोमेडिकल अपशिष्ट के प्रबंधन संबंधी बार कोड और वैश्विक पोज़िशनिंग सिस्टम स्थापित करना होगा।
    • राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड/प्रदूषण समितियों को अपशिष्ट प्रबंधन संबंधी जानकारी का संकलन कर उसकी समीक्षा व विश्लेषण करना होगा। तत्पश्चात् केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा इसका अध्ययन किया जाएगा।

    निष्कर्षत: जैविक चिकित्सीय अपशिष्ट वर्तमान में मानव समाज के समक्ष गंभीर चुनौती बन चुका है। इसका उचित समाधान करने की दिशा में यह नियम कारगर सिद्ध हो सकता है। परंतु इसके साथ ही उत्तरदायी संस्थानों को जवाबदेह बनाया जाना अतिआवश्यक है। तभी इस खतरनाक अपशिष्ट को खुले में छोड़ने के स्थान पर इसका प्रभावी प्रबंधन किया जाना संभव होगा।

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