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प्रश्न :
मुगल चित्रकला भारतीय, फारसी और इस्लामी शैलियों के एक विशेष संयोजन को प्रतिबिंबित करती है। परीक्षण कीजिये। (150 शब्द)
12 Oct, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 1 संस्कृतिउत्तर :
प्रश्न विच्छेद
मुगल चित्रकला भारतीय, फारसी और इस्लामी शैलियों का एक विशेष संयोजन कैसे है, स्पष्ट करें।
हल करने का दृष्टिकोण
प्रभावी भूमिका लिखें।
मुगल चित्रकला की विशेषताओं को संक्षेप में स्पष्ट करें।
स्पष्ट करें कि यह भारतीय, फारसी और इस्लामी शैलियों का एक विशेष संयोजन कैसे है?
प्रभावी निष्कर्ष लिखें।
मुगल काल राजनीतिक के साथ-साथ सांस्कृतिक प्रगति के दृष्टिकोण से भी भारतीय इतिहास में काफी महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। कला के क्षेत्र में मुगल शासकों की बेहतर अभिरुचि ने इस काल में कला के विकास को काफी प्रोत्साहन दिया। चित्रकला के क्षेत्र में मुगल शासकों का योगदान प्रशंसनीय है। वस्तुत: मध्यकालीन चित्रकला का विकास मुगल सम्राट के प्रोत्साहन का ही परिणाम है।
- भारत में मुगल चित्रकला का विकास हुमायूँ के शासनकाल से आरंभ हुआ और यह अकबर तथा जहाँगीर के शासनकाल में अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँच गया। वस्तुत: इस काल की चित्रकला पर स्वदेशी भारतीय शैली, ईरानी शैली व फारसी चित्रकला की सफाविद शैली का स्पष्ट प्रभाव दृष्टिगोचर होता है। प्रकृति के घनिष्ठ अवलोकन और उत्तम तथा कोमल आरेखण पर आधारित सुनम्य प्रकृतिवाद मुगल शैली की प्रमुख विशेषता है। यह साैंदर्य के उच्च गुणाें से परिपूर्ण तथा प्राथमिक रूप से वैभवशाली प्रकृति की है।
- मुगल चित्रकला शैली पर ईरानी शैली का प्रभाव निर्णायक ढंग से पड़ा जिसके अंतर्गत चित्रकारों द्वारा राजदरबार के जीवन चरित्र, युद्ध के दृश्य, इत्यादि का चित्रण प्रमुख रूप से किया जाता था। इसके अलावा फूल-पौधे और पशु-पक्षी, वेश-भूषा इत्यादि पर भी ईरानी प्रभाव स्पष्ट तौर पर देखा जा सकता है। उल्लेखनीय है कि भारत में ईरानी चित्रकला शैली का प्रभाव सल्तनत काल में भी स्पष्ट तौर पर देखा जा सकता है, जिसका विकसित रूप मुगल काल में देखने को मिला।
- अकबर के शासनकाल में मुगल चित्रकला शैली पर भारतीय शैली का अत्यधिक प्रभाव पड़ा इसका मुख्य कारण अकबर द्वारा भारत में समन्वित संस्कृति के विकास की नीति का अनुसरण करना था, जिससे भिन्न-भिन्न प्रकार की सांस्कृतिक परंपराएँ एक-दूसरे के संपर्क में आई विशेषतौर पर राजपूत शैली का प्रभाव अत्यधिक पड़ा जहाँ चौड़ी ब्रश की जगह गोल ब्रश का इस्तेमाल, रंगों के प्रयोग में भिन्नता इत्यादि उल्लेखनीय हैं।
इस प्रकार मुगल चित्रकला शैली पर ईरानी, फारसी व भारतीय शैली संयोजन का प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ता है। बाद के वर्षों में यूरोपीय लोगों के आगमन से यूरोपीय शैली का भी स्पष्ट प्रभाव पड़ा जिसकी दो विशेषताओं यथा-व्यक्ति विशेष का चित्र बनाना और दृश्य में आगे दिखने वाली वस्तुओं को छोटा आकार में बनाने की कला को भारतीय चित्रकारों द्वारा ग्रहण किया गया।
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