‘सम्मान का अधिकार’ सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण मौलिक अधिकारों में से एक जीवन और वैयक्तिक स्वतंत्रता के अधिकार का अंग है और इसे भाषण और अभिव्यक्ति के अधिकार के लिये समाप्त नहीं किया जा सकता। अतः किसी व्यक्ति के सम्मान की रक्षा के लिये मानहानि कानूनों का होना आवश्यक है। आलोचनात्मक विश्लेषण करें।
23 Aug, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था
उत्तर की रूपरेखा
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हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने आपराधिक मानहानि कानून की वैधता को बरकरार रखा। सर्वोच्च न्यायालय ने आपराधिक मानहानि से संबंधित भारतीय दंड संहिता की धारा 499 व 500 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका को निरस्त कर दिया।
आपराधिक कानून के पक्ष में तर्क
आपराधिक कानून के विपक्ष में तर्कः
वर्ष 2011 में यह देखते हुए कि आपराधिक मानहानि से संबंधित कानूनी प्रावधान के कारण लोग व्यवस्था में व्याप्त त्रुटियों की आलोचना करने अथवा उन्हें उद्घाटित करने में भय एवं संकोच का अनुभव करते हैं। इसी कारण नागरिक एवं राजनीतिक अधिकारों के अंतर्राष्ट्रीय अभिसमय से संबंधित मानवाधिकार समिति ने आपराधिक मानहानि को समाप्त करने के लिये देशों से आह्नान किया।
संविधान में वर्णित मूल अधिकारों में संतुलन स्थापित करने के क्रम में आपराधिक कानून को नागरिक कानून के तहत स्वीकार किया जा सकता है।