आप किस हद तक सहमत हैं कि मुगल साम्राज्य के पतन का मुख्य कारण जागीर व्यवस्था थी? चर्चा कीजिये।
उत्तर :
प्रश्न विच्छेद
• कथन जागीर व्यवस्था के मुगल साम्राज्य के पतन का मुख्य कारण होने की सीमा से संबंधित है?
हल करने का दृष्टिकोण
• मुगलकालीन जागीर व्यवस्था के विषय में संक्षिप्त उल्लेख के साथ परिचय लिखिये।
• जागीर व्यवस्था के मुगल साम्राज्य के पतन का मुख्य कारण होने की सीमा का उल्लेख कीजिये।
• उचित निष्कर्ष लिखिये।
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मुगलों की सेवा में आने वाले नौकरशाह ‘मनसबदार’ अपना वेतन राजस्व एकत्रित की जाने वाली भूमि के रूप में पाते थे जिन्हें जागीर कहते थे। अकबर के शासनकाल में इन जागीरों का सावधानीपूर्वक आकलन किया जाता था, ताकि इनका राजस्व मनसबदार के वेतन के तकरीबन बराबर रहे लेकिन औरंगज़ेब के शासनकाल तक आते-आते स्थिति परिवर्तित हो गई।
जागीर व्यवस्था के मुगल साम्राज्य के पतन का मुख्य कारण होने की सीमा का उल्लेख निम्नलिखित रूपों में वर्णित है-
- नवनियुक्त मनसबदारों को जागीरें देते-देते साम्राज्य के संसाधन लगभग समाप्त हो गए, परिणामस्वरूप केंद्रीय सता के कमज़ोर पड़ जाने से साम्राज्य के विघटन की प्रक्रिया तीव्र हो गई।
- मनसबदारों की संख्या में वृद्धि से जागीरों की संख्या में कमी हुई फलस्वरूप कई जागीरदार अधिक-से-अधिक राजस्व वसूल करने की कोशिश करने लगे जिससे किसानों एवं भूमि की सेहत पर विपरीत असर पड़ा।
- इस पर नियंत्रण से जुड़े कदम उठाए जाने के बावजूद जागीरदार किसानों और ज़मींदारों से निर्धारित लगान से हमेशा ज़्यादा ही वसूलते थे जिससे किसानों में रोष उत्पन्न हुआ , शासक वर्ग के हितों को क्षति पहुँची एवं छोटे और बड़े ज़मींदार एक-दूसरे से टकराने लगे।
- मनसबदारों एवं जागीरों की संख्या के असंतुलन को समाप्त करने के लिये पुराने मनसबदारों के भाग में कटौती की जाने लगी जिससे राजनीतिक गुटबंदी और तनाव में वृद्धि हुई ।
- छोटे जागीरदारों ने लगान वसूल करने के लिये लगान का ठेका (इजारादारी प्रथा) देना शुरू कर दिया जिससे किसानों पर अत्याचार के मामलों में वृद्धि हुई और वे भूमि छोड़कर भागने लगे।
- अठारहवीं शताब्दी में सामाजिक अधिशेष एवं शासक वर्ग के बीच बढ़ती हुई मांगों से असंतुलन में वृद्धि हुई। जागीरदारों की एक निश्चित छोटी अवधि के बाद बदली अनिवार्य थी जिससे वे कृषि उत्पादन बढ़ाने के इच्छुक नहीं थे।
- मनसब एवं जागीर दोनों ही प्रणालियों के सुचारु रूप से कार्य न करने के कारण सम्राज्य की आर्थिक, राजनीतिक एवं सैनिक शक्ति क्षीण होती गई जिसका संबंधित वर्गों ने लाभ उठाया।
- धार्मिक नीति, मुगल अमीरों का राजनीतिक षड्यंत्र; प्रौद्योगिकी, विशेष रूप से विदेशों से आई नई तकनीकों कोअपनाने में असफलता जैसे अन्य कारण भी उत्तरदायी थे।
- जागीरदारी संकट के साथ-साथ व्यक्तिगत स्तर पर निजी क्षमताएँ भी विघटनकारी शक्तियों को बढ़ावा देने के लिये ज़िम्मेदार थीं।
उपर्युक्त विवरणों से स्पष्ट है कि मुगल साम्राज्य के पतन के लिये कोई एक कारण ज़िम्मेदार नहीं था फिर भी जागीरदारी संकट निश्चित रूप से प्रमुख कारण था। प्रो. इरफान हबीब ने भी इसे ही पतन का कारण माना है।