- फ़िल्टर करें :
- भूगोल
- इतिहास
- संस्कृति
- भारतीय समाज
-
प्रश्न :
हड़प्पा की संस्कृति आज भी भारत में प्रचलित है। टिप्पणी कीजिये। (150 शब्द)
07 Oct, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहासउत्तर :
प्रश्न विच्छेद
• हड़प्पा के सांस्कृतिक लक्षणों की वर्तमान में भारतीय समाज में उपस्थिति पर चर्चा करनी है।
हल करने का दृष्टिकोण
• सर्वप्रथम भूमिका लिखें।
• हड़प्पाकालीन संस्कृति पर संक्षिप्त चर्चा करें।
• वर्तमान भारतीय समाज में इसकी उपस्थिति को स्पष्ट करें।
• प्रभावी निष्कर्ष दें।
भारतीय संस्कृति प्राचीनता, निरंतरता व चिरस्थायीत्वता स्वरूप में स्पष्ट परिलक्षित होती है। भारतीय सांस्कृतिक इतिहास में हड़प्पा संस्कृति का योगदान उल्लेखनीय रहा है। इसने तत्कालीन भारतीय समाज के साथ-साथ वर्तमान भारतीय समाज को भी प्रभावित किया है। इसका सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण प्रभाव हिन्दू धर्म व धार्मिक विश्वासों पर पड़ा है। वर्तमान भारतीय समाज में इस संस्कृति के विद्यमान लक्षणों को विभिन्न रूपों में देख सकते हैं-
- हड़प्पा सभ्यता मातृ प्रधान सभ्यता थी जहाँ मातृ देवी का पूजन किया जाता था। इसे वर्तमान भारतीय समाज में भी स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है जहाँ लोगों द्वारा शक्ति देवी, ग्राम देवी इत्यादि के रूप में देवी की पूजा की जाती है।
- सैंधव सभ्यता से लिंग पूजा के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं तो वर्तमान भारतीय समाज में भी शिव के रूप में लिंग का पूजन किया जाता है।
- सैंधव सभ्यता में वृक्ष पूजन के प्रमाण मिले हैं। साथ ही, पशुओं की धार्मिक महत्ता के भी साक्ष्य मिले हैं, जो आज भी भारतीय हिन्दू समाज में दृष्टिगोचर होता है।
- सैंधव मुद्राओं से नाग पूजा के भी प्रमाण प्राप्त होते हैं जो आज भी भारतीय हिन्दू समाज में नाग पूजा की परंपरा के रूप में विद्यमान है।
- सैंधव सभ्यता के लोग जल को पवित्र मानते थे तथा धार्मिक समारोहों के अवसर पर सामूहिक स्नान आदि का काफी महत्त्व था जैसा कि बृहद स्नानागार से स्पष्ट होता है। यह भावना आज भी हिन्दू धर्म में विद्यमान (गंगा स्नान) है।
- चूड़ी व सिंदूर के साक्ष्य भी हड़प्पा सभ्यता से प्राप्त हुए हैं जो आज भी भारतीय हिन्दू समाज में महिलाओं के प्रमुख प्रसाधन की वस्तु है।
- दुर्ग निर्माण व प्राचीरों के निर्माण की कला भी हमें सैंधव काल से प्राप्त होती है। सुनियोजित ढंग से नगरों बसाने का ज्ञान सैंधव काल की ही देन है।
- सुरक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता इत्यादि के क्षेत्र में भी सैंधव निवासियों ने बाद की पीढ़ियों को निर्देशित किया।
- उपरोक्त के अलावा मूर्तिकला, चित्रकला इत्यादि के विकसित रूप कहीं-न-कहीं सैंधव कला से प्रभावित हैं।
इस प्रकार स्पष्ट है कि सैंधवकालीन सांस्कृतिक जीवन के लक्षण इस सभ्यता के पतन होने के पश्चात् भी वर्तमान भारतीय समाज में जीवंत रूप में विद्यमान हैं और भारतीय जन-जीवन को इतिहास के गौरव से अवगत करा रहे हैं।
To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.
Print