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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    मीडिया को ‘अभिव्यक्ति के अधिकार’ के तहत सूचनाओं के प्रसारण का अधिकार है परंतु यह प्रसारण ‘युक्तियुक्त निर्बंधन’ के तहत होना चाहिये। हालिया घटनाओं की चर्चा करते हुए इस कथन का परीक्षण करें कि क्या मीडिया अपने इस अधिकार का दुरुपयोग कर रहा है? यदि हाँ, तो दुरुपयोग को रोकने के उपायों की चर्चा करें।

    24 Aug, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा :

    • मीडिया की भारत में भूमिका का उल्लेख करें।
    • उन घटनाओं/कारकों का विवरण जो साबित करते हैं कि मीडिया अपने अधिकारों का दुरूपयोग कर रहा है।
    • उपायों का उल्लेख करें।

    विधानपालिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका के साथ ‘मीडिया’ को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है। भारतीय लोकतंत्र में ‘मीडिया’ लोकतंत्र प्रहरियों में मुख्य है। इसकी स्वतंत्रता संविधान के अनुच्छेद 19(1)(क) से सुनिश्चित होती है।

    विभिन्न सूचनाओं एवं जानकारी से यह न केवल जनमानस को जागरूक करता है अपितु आलोचना के माध्यम से सरकार पर भी अंकुश लगाता है। विभिन्न सामाजिक-राजनीतिक मुद्दों पर जनमानस की राय को सरकार तक पहुँचाने तथा सरकार के फैसलों को विश्लेषित कर जनता तक पहुँचाने का कार्य मीडिया बखूबी से करता है।

    परंतु हालिया दिनों में मीडिया का कार्य लोकतंत्र प्रहरी एवं सूचना स्रोत से बढ़कर ‘व्यवसाय केन्द्रित’ हो गया है। लोकप्रियता एवं धन कमाने के लालच में पत्रकारिता अपने लक्ष्य से भटक गई है। जिसके प्रमाण कई घटनाओं के दौरान देखने को मिलते हैं जैसे हालिया घटना ‘पठानकोट एयरबेस’ आतंकी हमले से संबंधी संवेदनशील सूचनाओं के प्रसारण से संबंधित है। इस घटना के अतिरिक्त निम्नलिखित घटनाओं से संबंधित उदाहरण भी दर्शाते हैं कि भारतीय मीडिया ‘स्वतंत्रता’ के अधिकार का दुरुपयोग कर रही हैः

    • मुंबई हमले के दौरान ‘लोकप्रियता’ हेतु लगातार लाइव प्रसारण ने आतंकियों की सहायता की तथा राष्ट्रीय सुरक्षा को अधिक खतरे में डाला।
    • पेड-न्यूज द्वारा जनता को एक पक्षीय सूचनाएँ देकर गुमराह करना भी अधिकारों का उल्लंघन है। 
    • स्टिंग ऑपरेशन तथा राजनीतिक एवं आर्थिक कारणों से किसी व्यक्ति की निजता का हनन करना भी मीडिया की स्वतंत्रता के दुरूपयोग को चित्रित करता है। 
    • जाति-धर्म एवं सांस्कृतिक विवादों से जुड़े मुद्दों को बढ़ा-चढ़ाकर प्रदर्शित करना जिससे अशांति एक क्षेत्र से बाहर वृहद स्तर पर फैलती है। 
    • मीडिया द्वारा स्वतंत्रता के अधिकार का ऐसा उल्लंघन न केवल समाज अपितु संपूर्ण राज्य के लिये घातक सिद्ध हो सकता है, परंतु कठोर नियंत्रण देश में तानाशाही का वातावरण उत्पन्न कर देगा।

    अतः निम्नलिखित ‘मध्यमार्गी’ उपायों द्वारा मीडिया पर युक्तियुक्त प्रतिबंध लगाकर इस समस्या से निपटा जा सकता हैः

    • मीडिया संबंधित शिक्षण संस्थानों में ‘नैतिकता’ को बढ़ावा दिया जाना चाहिये।
    • एक ‘स्वतंत्र जाँच दल’ का गठन किया जाना चाहिये जो पत्रकारिता के निष्पक्ष प्रसारण एवं संवेदनशील सूचनाओं के प्रसारण संबंधी कार्यों पर निगरानी रखे।
    • नियमित अंतराल पर समाजविदों तथा मीडियाकर्मियों की बैठक होनी चाहिये जिससे सब मिलकर सामाजिक समस्याओं से संबंधित समाधान खोज सकें एवं रणनीति बना सकें। 
    • मीडिया को राजनीतिक दबाव से मुक्त किया जाना चाहिये परंतु ‘पत्रकारिता से संबंधित आचार-संहिता’ का पालन सुनिश्चित किया जाना चाहिये। 

    वर्तमान में भारत सामंती  अर्थव्यवस्था से आधुनिक औद्योगिक अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहा है। विकास के इस पथ पर लोकतंत्र के चारों स्तंभों का मज़बूती एवं निष्पक्षता से खड़े रहना तथा सामाजिक एवं सामरिक चुनौतियों से मिलकर सामना करना अपेक्षित है। इसके लिये सभी को परिपक्व व्यवहार करते हुए लोकतंत्र के मूल्यों के अनुरूप चलना होगा। 

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