‘सरोज-स्मृति’ की ‘सरोज’ के सौन्दर्य-चित्रण को हिन्दी साहित्य की विशिष्ट उपलब्धि क्यों माना जाता है? सोदाहरण बताइए।
05 Oct, 2019 रिवीज़न टेस्ट्स हिंदी साहित्य‘सरोज स्मृति’ हिन्दी साहित्य में एकमात्र दृष्टांत है जहाँ कवि ने पुत्री के सौंदर्य का चित्रण किया है। पुत्री के सौंदर्य चित्रण में कवि के समक्ष दोहरी चुनौती थी कि सौंदर्य किसी से कमतर न हो तथा उत्तेजक न प्रतीत हो। कवि इन दोनों चुनौतियों में सफल प्रतीत होता है। निम्नांकित विशेषताएं सरोज के सौदर्य को विशिष्ट बनाती हैं-
‘‘काँपा कोमलता पर सस्वर
ज्यों मालकोश नव वीणा पर
क्या दृष्टि अतल की सिक्त-धार
ज्यों भोगावती उठी अपार’’
सद्य: परिणीता :
‘‘देखती मुझे तू हंसी मन्द
होठों में बिजली फँसी स्पन्द
x x x x
नत बचनों से आलोक उत्तर
काँपा अधरों पर थर-थर-थर’’
इस प्रकार निराला ने सरोज-स्मृति में अपनी पुत्री सरोज के सौंदर्य का जो चित्रण किया है, वह हिन्दी साहित्य की विशिष्ट घटना है।