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प्रश्न :
‘सरोज-स्मृति’ की ‘सरोज’ के सौन्दर्य-चित्रण को हिन्दी साहित्य की विशिष्ट उपलब्धि क्यों माना जाता है? सोदाहरण बताइए।
05 Oct, 2019 रिवीज़न टेस्ट्स हिंदी साहित्यउत्तर :
‘सरोज स्मृति’ हिन्दी साहित्य में एकमात्र दृष्टांत है जहाँ कवि ने पुत्री के सौंदर्य का चित्रण किया है। पुत्री के सौंदर्य चित्रण में कवि के समक्ष दोहरी चुनौती थी कि सौंदर्य किसी से कमतर न हो तथा उत्तेजक न प्रतीत हो। कवि इन दोनों चुनौतियों में सफल प्रतीत होता है। निम्नांकित विशेषताएं सरोज के सौदर्य को विशिष्ट बनाती हैं-
- सौंदर्य का वर्णन संरचनात्मक अप्रस्तुतियों के माध्यम से किया है जिससे सौंदर्य की अत्यंत मर्यादित तथा संयमित व्यंजना हुई है। उदाहरणत: निम्नांकित पंक्तियाँ द्रष्टव्य हैं-
‘‘काँपा कोमलता पर सस्वर
ज्यों मालकोश नव वीणा पर
क्या दृष्टि अतल की सिक्त-धार
ज्यों भोगावती उठी अपार’’
- सौंदर्य वर्णन में नखशिख परंपरा से विचलन है। स्वर सौंदर्य पर बल अनोखी विशेषता है।
- शुचि उपमानों का प्रयोग किया गया है जिससे वर्णन की पवित्रता की रक्षा हो सके। उषा, भोगावती, मालकोश आदि ऐसे ही उपमान हैं।
- छायावादी सौंदर्य वर्णन तथा नारी का छायावादी चित्रण के क्रम में प्रकारान्तर से रीतिकालीन शृंगार का विरोध इस कविता में उच्चतम स्तर पर पहुंचा है।
- वय की तीनों अवस्थाओं: बाल्यावस्था, युवावस्था, सद्य: परिणीता का सौंदर्य चित्रण किया गया है। एक उदाहरण द्रष्टव्य हैं-
सद्य: परिणीता :
‘‘देखती मुझे तू हंसी मन्द
होठों में बिजली फँसी स्पन्द
x x x x
नत बचनों से आलोक उत्तर
काँपा अधरों पर थर-थर-थर’’
इस प्रकार निराला ने सरोज-स्मृति में अपनी पुत्री सरोज के सौंदर्य का जो चित्रण किया है, वह हिन्दी साहित्य की विशिष्ट घटना है।
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