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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    दिल्ली सल्तनत के ऊपर मंगोल आक्रमण के विभिन्न प्रभावों की चर्चा कीजिये।

    04 Oct, 2019 रिवीज़न टेस्ट्स इतिहास

    उत्तर :

    प्रश्न विच्छेद

    • कथन दिल्ली सल्तनतपर मंगोल आक्रमण के प्रभावों से संबंधित है।

    हल करने का दृष्टिकोण

    • दिल्ली सल्तनत पर मंगोल आक्रमण के संक्षिप्त उल्लेख के साथ परिचय लिखिये।

    • दिल्ली सल्तनत पर मंगोल आक्रमण के प्रभावों को लिखिये।

    • उचित निष्कर्ष लिखिये।

    13वीं एवं 14वीं शताब्दियों का मंगोल साम्राज्य हिन्दुस्तान एवं एशियाई महाद्वीप के दक्षिण-पूर्व भाग को छोड़कर मध्य-पूर्व एवं मध्य एशिया सेे लेकर पूर्वी यूरोप और चीन तक फैला हुआ था। यह साम्राज्य दिल्ली सल्तनत के अन्य किसी भी बाहरी या आंतरिक शत्रु से कहीं ज़्यादा शक्तिशाली, विनाशकारी एवं आक्रामक था। न केवल आक्रमण बल्कि भारत की उत्तर-पश्चिम सीमा पर इसकी मौजूदगी भर ने दिल्ली सल्तनत को अनेक रूपों में गंभीरतापूर्वक प्रभावित किया।

    दिल्ली सल्तनत पर मंगोल आक्रमणों के प्रभावों का विवरण निम्नलिखित रूपों में वर्णित है-

    मंगोलों के विरुद्ध संगठित एवं सफल प्रयास के रूप में खिलजी एवं तुगलक सुल्तानों ने धर्म एवं जाति के तत्त्वों से ऊपर उठकर योग्यता एवं वफादारी पर आधारित केन्द्रीकृत राज्य का ढाँचा स्थापित किया। अलाउद्दीन ने मंगोलों के आक्रमणों का सामना करने के लिये सीमावर्ती किलों एवं दिल्ली के किलों की मरम्मत, नए किलों का निर्माण और अन्य सैन्य एवं आर्थिक सुधार भी किये।

    मध्य-पूर्व के इस्लामी राज्यों में मंगोल आक्रमणों के परिणामस्वरूप बहुत से प्रतिष्ठित शास्त्रज्ञों, कवियों, इतिहासकारों, रहस्यवादियों, सूफी शेखों, धार्मिक नेताओं और अनेक प्रमुख परिवारों ने भागकर दिल्ली के सुल्तानों से पनाह एवं शाही संरक्षण मांगा। सूफी शेखों ने न केवल हिंदू दर्शन और धर्म का गहरा अध्ययन किया बल्कि हिंदुओं को इस्लाम के वास्तविक सिद्धांतों एवं पैगम्बर की शिक्षाओं से भी अवगत कराया।

    इस्लामी जगत के पूर्वी भाग से देशांतरण करते हुए कारीगर और व्यापारी अपने शिल्प, तकनीक और कार्यप्रणालियों के साथ-साथ व्यक्तिगत संस्कृति, परंपरा और रीति-रिवाज़ भी लाए, जिसने भारतीय संस्कृति को कई दृष्टिकोणों से बड़े पैमाने पर समृद्ध बनाया।

    भारतीय सुल्तानों ने सीमावर्ती जातियों को नियंत्रण में रखने या उनसे मित्रता के बराबर प्रयास किये क्योंकि ये जातियाँ न केवल उन्नत हथियार बनाने में निपुण थीं बल्कि मंगोलों की युद्ध संबंधी रणनीति एवं उनके तौर-तरीके से भी अच्छी तरह परिचित थीं।

    मंगोल आक्रमणों के परिणामस्वरूप भारत में राजनीतिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक क्षेत्रों में इजतिहाद (ijtihad) विचारधारा का पदार्पण हुआ। इससे भारत में स्वतंत्र तर्कवाद की राजनीतिक विचारधाराओं के पनपने में सहायता मिली।

    उत्तर-पश्चिम भारत का क्षेत्र सामरिक एवं आर्थिक दोनों ही दृष्टिकोणों से अत्यंत महत्त्वपूर्ण था। अत: इल्तुतमिश एवं बलबन से लेकर मुहम्मद तुगलक तक सभी सुल्तानों ने अपने आधार को मज़बूत करते हुए मंगोलों पर विजय हासिल की, जिससे न केवल उनकी स्थिति सुरक्षित हुई इसने बल्किउच्चतर स्थिति में भी पहुँचा दिया।

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