क्या कारण है कि भारत आज भी औद्योगिक उत्पादन में आत्मनिर्भर नहीं हो सका है? भारत के औद्योगिक सशक्तिकरण एवं आयात प्रतिस्थापन में ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम किस सीमा तक सहायक सिद्ध हो सकता है? (150 शब्द)
01 Oct, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था
प्रश्न विच्छेद • भारत में औद्योगिक उत्पादन की स्थिति और ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम की भूमिका की चर्चा करनी है। हल करने का दृष्टिकोण • औद्योगिक उत्पादन का सामान्य परिचय लिखते हुए उत्तर प्रारम्भ करें। • औद्योगिक उत्पादन में भारत के आत्मनिर्भर नहीं होने के कारणों की व्याख्या करें। • औद्योगिक उत्पादन को बढ़ाने में ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम की भूमिका का परीक्षण करें। • निष्कर्ष। |
औद्योगिक उत्पादन, औद्योगिक क्षेत्र के निर्गमन (output) की माप को दर्शाता है, जो सामान्यत: खनन, विनिर्माण और निर्माण को समाहित करता है। यद्यपि औद्योगिक उत्पादन सकल घरेलू उत्पाद का छोटा भाग होता है, फिर भी यह ब्याज दरों और उपभोक्ता मांग की दृष्टि से बहुत ही संवेदनशील है। इसलिये औद्योगिक उत्पादन भविष्य के सकल घरेलू उत्पाद के पूर्वानुमान में महत्त्वपूर्ण होता है।
भारत के सकल घरेलू उत्पाद में औद्योगिक क्षेत्र का हिस्सा सेवा क्षेत्र की तुलना में बहुत कम है। इसका मुख्य कारण भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास ऐतिहासिक आधार पर न होकर, असामान्य रूप से सेवा क्षेत्र के पक्ष में होना माना जा सकता है। इसी कारण भारत औद्योगिक उत्पादन में आत्मनिर्भर नहीं हो सका है। इसके कुछ अन्य कारणों को निम्नलिखित रूप से समझा जा सकता है-
स्वतंत्रता प्राप्ति के प्रश्चात् 15 वर्षों तक देश में औद्योगिक उत्पादन की गति तीव्र रही किंतु इसके बाद इसमें गिरावट देखी गई। इस गिरावट के कारणों में 1962, 1965 और 1971 का युद्ध, 1965 का अकाल, अवसंरचनात्मक रुकावटें और 1973 का तेल संकट आदि घटनाओं को शामिल किया जा सकता है।
कृषि क्षेत्र में न्यून उत्पादकता के कारण औद्योगिक क्षेत्र को कच्चे माल की उपलब्धता सीमित हो गई।
इसके अतिरिक्त मांग में कमी ने भी औद्योगिक उत्पादन को सीमित किया।
जगदीश भगवती, पद्मा देसाई आदि अर्थशास्त्रियों ने न्यून औद्योगिक उत्पादन के लिये अपर्याप्त औद्योगिक नीतियाँ, लाइसेंसिंग, लालफीताशाही तथा अतार्किक और अनुत्पादक नियंत्रण आदि को उत्तरदायी माना है।
वर्तमान में विमुद्रीकरण और वस्तु एवं सेवा कर का लागू होना भी देश के औद्योगिक उत्पादन में कमी के कारणों में गिना जा सकता है।
इसके अतिरिक्त, यूरोपीय आर्थिक संकट के कारण मांग में कमी और चीन के विनिर्माण क्षेत्र में मांग में कमी भी औद्योगिक उत्पादन को न्यून करने हेतु उत्तरदायी हैं।
उपर्युक्त कारणों के निराकरण और देश में औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि के लिये विभिन्न सरकारों ने अपने-अपने स्तर पर प्रयास किये, जिसमें 1991 के उदारीकरण के प्रयास महत्त्वपूर्ण हैं। हाल ही में ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के द्वारा देश को विनिर्माण केंद्र में बदलने एवं औद्योगिक उत्पादन को बढ़ाने के लिये सरकार प्रयास कर रही है। इसके तहत् औद्योगिक नीति का सरलीकरण, श्रम सुधार, सरकारी मंज़ूरी आदि को त्वरित करने जैसे प्रयास किये जा रहे हैं।
यद्यपि ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के द्वारा औद्योगिक उत्पादन में तीव्रता लाने का प्रयास किया जा रहा है, फिर भी इसकी कुछ सीमाएँ हैं, जैसे- कृषि की न्यून उत्पादकता, पश्च कृषि प्रबंधन में कमी, आधुनिक कृषि यंत्रों का न्यून उपयोग, बैंकों के एन.पी.ए. की समस्या, अपर्याप्त श्रम सुधार, पर्यावरणीय मंज़ूरी में देरी, भूमि अधिग्रहण की समस्या आदि।
उक्त समस्याओं को सशक्त संरचनात्मक सुधार, नीतिगत स्तर पर सुधार, निजी निवेश को प्रोत्साहन आदि प्रयासों के द्वारा सुलझाया जा सकता है।
निष्कर्षत: यह कहा जा सकता है कि देश औद्योगिक उत्पादन में आत्मनिर्भर नहीं हो सका है। यद्यपि सरकारें अपने स्तर पर प्रयास कर रही हैं। इन्हीं प्रयासों का परिणाम है कि वर्तमान में भारत के सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण का हिस्सा निरंतर बढ़ रहा है।