भारत में पुलिस सुधार सबसे अपेक्षित परंतु सबसे विलंबित मुद्दों में से एक है। प्रकाश सिंह बनाम भारतीय संघ के मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के आलोक में पुलिस सुधारों की तात्कालिकता की चर्चा करें। (250 शब्द)
01 Oct, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था
प्रश्न विच्छेद • पुलिस सुधार के संदर्भ में प्रकाश सिंह मामले को स्पष्ट करें। • पुलिस सुधारों की आवश्यकता पर चर्चा करें। हल करने का दृष्टिकोण • संक्षेप में परिचय दें। • प्रकाश सिंह मामले में दिये गए प्रमुख दिशा निर्देशों का उल्लेख करें। • पुलिस सुधारों की तात्कालिकता के कारण बताएँ। • अंत में निष्कर्ष दें। |
भारतीय संविधान में पुलिस एवं कानून व्यवस्था राज्य सूची का विषय है। भारत में पुलिस सुधार के संबंध में कई आयोग एवं समितियाँ बनीं, जैसे- मलिमथ समिति, सोली सोराबजी समिति, पद्यनाभैया समिति आदि।
भारत में पुलिस सुधारों की दिशा में प्रकाश सिंह बनाम भारतीय संघ का मामला मील का पत्थर है। इस मामले में उच्चतम न्यायालय ने पुलिस सुधारों के लिये महत्त्वपूर्ण निर्देश दिये, जैसे-
एक स्टेट सिक्योरिटी कमीशन का गठन हो, जिसका दायित्व पुलिस को बाहरी दबाव से मुक्त रखना होगा।
एक पुलिस इस्टेब्लिशमेंट बोर्ड का गठन हो, जिसमें कार्मिक मामलों में पुलिस को स्वायत्तता प्राप्त हो।
डीजीपी का कार्यकाल 2 साल निश्चित हो तथा आईजी एवं अन्य पुलिस अधिकारियों के कार्यकाल निश्चित किये जाएँ।
पुलिस की कार्यशैली को अत्याधुनिक बनाने के लिये उसे आधुनिक हथियारों और उन्नत फोरेंसिक जाँच तंत्र उपलब्ध कराया जाए।
प्रकाश सिंह मामले में दिये गए निर्देशों का आज तक पालन नहीं किया जा सका, जो पुलिस सुधार के विलबिंत मुद्दों को दर्शाता है।
भारत में पुलिस सुधारों की तात्कालिकता निम्नलिखित कारणों से है:
भारत में पुलिस के पास खुफिया आँकड़ों के एकत्रण एवं उनके विश्लेषण के लिये प्रभावी साधनों का अभाव है।
कई शीर्ष अन्वेषण एजेंसियों एवं पुलिस विभागों में पदों की रिक्तियाँ हैं।
पुलिस को उपलब्ध हथियार और उपकरण पुराने एवं निम्नस्तरीय हैं।
पुलिस को प्राय: राजनीतिक दबाव का सामना करना पड़ता है।
वस्तुत: पुलिस कानून व्यवस्था की स्थापना एवं न्याय प्रक्रिया का महत्त्वपूर्ण स्तम्भ है। अत: एक शांतिप्रिय समाज के निर्माण के लिये अच्छी पुलिस व्यवस्था का होना आवश्यक है।