डॉक्टरों के लिये अनिवार्य ग्रामीण सेवा कितनी प्रासंगिक है? चर्चा कीजिये।
30 Sep, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 2 सामाजिक न्याय
हल करने का दृष्टिकोण • ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा संबंधी स्थितियों पर प्रकाश डालिये। • डॉक्टरों के लिये अनिवार्य ग्रामीण सेवा की प्रासंगिकता बताइये। • संतुलित एवं सारगर्भित निष्कर्ष लिखिये। |
भारत को गाँवों का देश कहा जाता है तथा आज भी लगभग 70 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या गाँवों में निवास करती है। किंतु गाँवों के संदर्भ में चिकित्सकों के उदासीन रवैये के चलते स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएँ अत्यंत ख़राब स्थिति में हैं। एक आँकड़े के अनुसार शहरी क्षेत्रों में प्रति 100,000 लोगों के लिये 176 डॉक्टर हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में 100,000 लोगों के लिये 8 से भी कम डॉक्टर उपलब्ध हैं जबकि हर साल भारत में 269 निजी और सरकारी मेडिकल कॉलेजों से लगभग 31,000 डॉक्टर स्नातक करते हैं।
उच्चतम न्यायालय (SC) ने केंद्र सरकार और भारतीय चिकित्सा परिषद को सुझाव दिया है कि सरकारी संस्थानों से प्रशिक्षित डॉक्टरों के लिये ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा (कुछ समय तक) को अनिवार्य किया जाए।
डॉक्टरों के लिये अनिवार्य ग्रामीण सेवा की प्रासंगिकता
हालाँकि डॉक्टरों हेतु अनिवार्य ग्रामीण सेवा का भी चिकित्सीय वर्ग द्वारा निम्न आधारों पर विरोध किया जाता है:
वस्तुतः कुछ लोगों की गरिमा को सामुदायिक गरिमा से संतुलित करते हुए, तराजू को सामुदायिक गरिमा के पक्ष में झुकना चाहिये। अतः कुछ राज्यों द्वारा चिकित्सकों हेतु लागू किये गए अनिवार्य बांड की तर्ज पर संपूर्ण देश में डॉक्टरों के लिये अनिवार्य ग्रामीण सेवा लागू की जानी चाहिये ताकि गाँवों में निवास करने वाली वंचित आबादी को मूलभूत स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान की जा सकें।