आधुनिक काल में चित्रकला के विकास पर प्रकाश डालिये।
27 Sep, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 1 संस्कृति
हल करने का दृष्टिकोण • आधुनिक चित्रकला की पृष्ठभूमि लिखिये। • आधुनिक काल में विकसित कुछ चित्रकला की शैलियों का वर्णन कीजिये। • अंततः सारगर्भित निष्कर्ष लिखिये। |
भारत की सत्ता की चाबी अंग्रेज़ों के हाथ में जाने के साथ ही पहले से कमज़ोर हो चली राजस्थानी, मुगल और पहाड़ी चित्रकला अपने मुहाने पर पहुँच गई। संभवतः इसका कारण सरकारी संरक्षण का अभाव व बढ़ती गरीबी थी। चित्रकारों ने नगरों में रहना प्रारंभ कर दिया और पुरानी चित्रकला शैलियों के चित्रों की नकल करने लगे। फिर भी देश के अलग-अलग क्षेत्रों में स्थानीय शैलियाँ अपने तरीके से काम कर रही थी।
इसमें से कुछ शैलियाँ इस प्रकार हैं-
कालीघाट के पट्टचित्र: कलकत्ता के मशहूर काली मंदिर के पास कागज़, टाट या कपड़े पर बने चित्र जो कि स्थानीय मांग पर आधारित थे, उन्हें कालीघाट के चित्र कहा गया।
ओडिशा के पट्टचित्र: इस शैली के चित्रों में विजयनगर का आकृति विधान, मुगलों का रेखांकन, स्थानीय लोक कला और कालीघाट के प्रभाव दिखते हैं। कपड़े और टाट पर बने इन चित्रों का विषय धार्मिक है।
पटना या कंपनी शैली: मुगल कला और यूरोपीय कला के सम्मिश्रण से जो शैली सामने आई उसे उसे कंपनी शैली कहते हैं। ये चित्र पटना में बनाए गए थे, इसलिये इन्हें पटना शैली भी कहा गया। इन चित्रों में छाया के माध्यम से वास्तविकता लाने का प्रयास किया गया तथा प्रकृति का यथार्थवादी चित्रण अलंकारिता के साथ किया गया।
मधुबनी शैली के चित्र: यह कला शैली बिहार के मिथिलांचल इलाके के मधुबनी, दरभंगा और नेपाल के कुछ इलाकों में प्रचलित हुई। महिलाओं द्वारा रंगोली बनाने के रूप में शुरू हुई इस शैली को अब कागज़ और भित्तियों में देखा जा सकता है। इसे प्रकाश में लाने का श्रेय डब्ल्यू. जी. आर्चर को जाता है, जिन्होंने वर्ष 1934 में बिहार में आए भूकंप के बाद इलाके का जायज़ा लेने के दौरान इस पेंटिंग को देखा।
निष्कर्षतः स्वतंत्रता के पश्चात् वर्ष 1991 के आर्थिक उदारीकरण के बाद से भारतीय चित्रकारों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अधिक सराहना मिली है।