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प्रश्न :
सरोगेसी (विनियमन) विधेयक, 2019 महिलाओं और बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिये कितना उपयोगी है? टिप्पणी कीजिये।
25 Sep, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 3 विज्ञान-प्रौद्योगिकीउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण
• भूमिका में भारत के संदर्भ में सरोगेसी की स्थिति बताइये।
• सरोगेसी (विनियमन) विधेयक, 2019 के प्रावधानों का उल्लेख कीजिये।
• महिलाओं और बच्चों के अधिकारों की रक्षा के संदर्भ में इसके सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं का वर्णन कीजिये।
• अंततः निष्कर्ष लिखिये।
सरोगेसी का अर्थ है किराये की कोख। प्रजनन विज्ञान की प्रगति ने उन दंपतियों तथा अन्य लोगों के लिये प्राकृतिक रूप से संतान-सुख प्राप्त करना संभव बना दिया है, जिनकी किन्हीं कारणों से अपनी संतान नहीं हो सकती। इसी से ‘सरोगेट मदर’ की अवधारणा जन्मी है। भारत विभिन्न देशों के दंपतियों के लिये सरोगेसी केंद्र के तौर पर उभरा और यहाँ सरोगेट मदर्स का शोषण, सरोगेसी से जन्मे बच्चों को त्यागने और मानव भ्रूणों एवं क्रोमोसोम्स की खरीद-बिक्री में बिचौलियों के रैकेट से जुड़ी कई अनैतिक गतिविधियाँ होती रहती थी। इसे रोकने के लिये सरोगेसी (विनियमन) विधेयक, 2019 प्रस्तुत किया गया, जो निम्नलिखित प्रावधानों के द्वारा महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करेगा-
- यह विधेयक सरोगेसी का विकल्प चुनने वाले दंपत्ति के हितों की भी देखभाल करता है।
- यह विधेयक परोपकारी सरोगेसी को विनियमित करता है तथा व्यावसायिक सरोगेसी को प्रतिबंधित करता है।
- विधेयक परोपकारी सरोगेसी की अनुमति देता है जिसमें मौद्रिक लाभ (Monetary Reward) के रूप में सरोगेट माँ के लिये केवल चिकित्सा व्यय और बीमा कवरेज शामिल है।
- सरोगेसी के विनियमन के लिये राष्ट्रीय सेरोगेसी बोर्ड व राज्य सेरोगेसी बोर्ड के गठन किया जाएगा
उपरोक्त प्रावधानों से निम्नलिखित लाभ प्राप्त होंगे-
- सरोगेट मदर और सरोगेसी से उत्पन्न संतान के अधिकार सुरक्षित होंगे।
- गरीब महिलाओं का उपयोग सरोगेसी के लिये बार-बार किया जाता था, जो कि उनके स्वास्थ्य के लिये भी हानिकारक था, अब महिलाओं को इससे मुक्ति मिलेगी।
- मानव भ्रूणों एवं क्रोमोसोम्स की खरीद-बिक्री पर रोक लगेगी।
- फैशन और फिगर के लिये सरोगेसी के ज़रिये संतान प्राप्ति पर रोक लगेगी।
उपरोक्त प्रावधान निश्चित ही सरोगेसी की आड़ में महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों को रोकेगा किंतु इसमें कुछ ऐसे प्रावधान भी हैं, जिन पर और विचार करने की आवश्यकता है-
- अनुच्छेद 377 को वैधानिक किये जाने के बाद भी समलैंगिकों के लिये सरोगेसी का कोई प्रावधान नहीं किया गया है।
- नज़दीकी रिश्तेदार को परिभाषित नहीं किया गया है।
- परोपकारी सरोगेसी में सरोगेट माँ को किसी प्रकार का धन देने पर मनाही है किंतु यह गोपनीय तरीके से दिया जा सकता है।
निष्कर्षतः भारत में सरोगेसी को नियंत्रित करने के लिये कोई कानून न होने के कारण सरोगेट मदर्स का अत्याधिक शोषण किया जाता था। अतः कॉमर्शियल उद्देश्यों से जुड़ी सरोगेसी पर रोक लगाने, सरोगेसी का दुरुपयोग रोकने तथा निस्संतान दंपतियों के लिये संतान सुख की प्राप्ति सुनिश्चित करने में यह विधेयक अत्यंत सहायक सिद्ध होगा।
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