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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) द्वारा बच्चों के लिये निर्धारित 8 चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों का वर्णन कीजिये।

    24 Sep, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 2 सामाजिक न्याय

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण-

    • भूमिका में बच्चों की संवेदनशीलता का वर्णन कीजिये।

    • संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) द्वारा बच्चों के लिये निर्धारित 8 चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों का वर्णन कीजिये।

    • संक्षिप्त निष्कर्ष लिखिये।

    संवेदनशील समूहों में बच्चे सबसे निचले पायदान पर आते हैं क्योंकि वे शारीरिक व मानसिक रूप से इतने सक्षम नहीं होते कि अपनी सुरक्षा के लिये किसी प्रकार का कदम उठा सकें। हाल ही में संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने बच्चों के प्रति चिंता जताते हुए उनके लिये 8 चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों को निर्धारित किया है, जो निम्नानुसार हैं-

    जलवायु परिवर्तन:

    • जलवायु परिवर्तन के कारण सूखे व बाढ़ की घटनाओं में वृद्धि से वैश्विक स्तर पर खाद्यान उत्पादन में कमी आएगी तथा इससे वैश्विक स्तर पर भूख व कुपोषण के शिकार बच्चों की संख्या में वृद्धि होगी।

    प्रदूषण:

    • वैश्विक तापमान में वृद्धि के कारण जल संकट एवं जल-जनित रोग बच्चों के स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित करेंगे।
    • वर्तमान में विश्व के 90% से अधिक बच्चे प्रदूषित वायु में साँस लेते हैं।

    प्रवासन:

    • UNICEF के अनुसार हज़ारों बच्चे बिना किसी वैधानिक अनुमति के परिवार के साथ अथवा परिवार के बिना अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन करते हैं।
    • ऐसे बच्चे हिंसा एवं शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न के प्रति सुभेद्य होते हैं।

    नागरिकताविहीन:

    • प्रतिदिन जन्मे 4 में से 1 बच्चा नागरिकताविहीन होने के चलते जन्म प्रमाण-पत्र अथवा राष्ट्रीय पहचान-पत्र से भी वंचित रह जाता है तथा ये बच्चे स्वास्थ्य, शिक्षा व अन्य सरकारी सुविधाओं से भी वंचित रह जाते हैं।

    मानसिक स्वास्थ्य :

    • विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुमान के अनुसार, वर्ष 2016 में 62,000 किशोरों की मौत आत्महत्या करने के कारण हुई थी। 15-19 आयु वर्ग के किशोरों में मौत का तीसरा प्रमुख कारण आत्महत्या है।

    प्राकृतिक आपदा व संघर्ष युक्त क्षेत्र:

    • 75 मिलियन से अधिक बच्चों व युवाओं की शिक्षा प्राकृतिक आपदा व हिंसात्मक संघर्ष के कारण अधूरी रह जाती है ।
    • युद्ध का सबसे पहले असर बच्चों पर ही पड़ता है।

    ऑनलाइन गलत सूचना :

    • वर्तमान में इंटरनेट व अन्य ऑनलाइन माध्यमों से प्राप्त गलत सूचनाएँ बच्चों को उत्पीड़न व दुर्व्यवहार के प्रति सुभेद्य बनाती हैं।

    डेटा अधिकार और ऑनलाइन गोपनीयता:

    • विश्व में 3 में से 1 बच्चा इंटरनेट का नियमित उपयोगकर्त्ता है इस कारण वह डेटा का निर्माता है।
    • बच्चों व युवाओं की सोशल मीडिया पर उपलब्ध जानकारी उन्हें ऑनलाइन हैकिंग व खतरनाक एवं हिंसात्मक गतिविधियों के प्रति सुभेद्य बनाती है।

    वस्तुतः वतर्मान में बच्चों पर किया गया निवेश भविष्य हेतु किया गया निवेश होता है। अतः हमें एक सुरक्षित विश्व की परिकल्पना करने के लिये सर्वप्रथम अपने बच्चों को सुरक्षित करना होगा।

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