सरकार द्वारा आर्थिक क्षेत्र में लिंग अंतराल को समाप्त करने हेतु अनेक कदम उठाए गए हैं परंतु इस दिशा में अभी कई समस्याएँ मौजूद हैं। इस कथन को स्पष्ट करते हुए संबंधित उपायों की चर्चा कीजिये।
उत्तर :
उत्तर की रूपरेखा
- प्रभावी भूमिका में आर्थिक क्षेत्र में लिंग अंतराल की स्थिति को स्पष्ट करें।
- तार्किक एवं संतुलित विषय-वस्तु में सरकार द्वारा किये गए प्रयासों को स्पष्ट करते हुए इस क्षेत्र की समस्याओं और संबंधित उपायों की चर्चा करें।
- प्रश्नानुसार संक्षिप्त एवं सारगर्भित निष्कर्ष लिखें।
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विश्व बैंक के नवीनतम ग्लोबल फाइंडेक्स डेटा से यह साबित होता है कि भारत ने औपचारिक वित्तीय सेवाओं तक पहुँच में सुधार एवं लिंग अंतराल को समाप्त करने के लिये तेज़ी से कदम उठाए हैं। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2014 में केवल 53% वयस्कों के पास औपचारिक खाते थे, जबकि वर्तमान में 80% से अधिक वयस्कों के पास औपचारिक खाते हैं। आर्थिक क्षेत्र के लिंग अंतराल की समाप्ति हेतु सरकार द्वारा निम्नलिखित प्रयास किये गए हैं-
सरकार द्वारा किये गए प्रमुख प्रयास :
- दरअसल, पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने वित्तीय समावेशन के साथ औपचारिक क्षेत्र के विस्तार को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है।
- उदाहरण के लिये प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) कार्यक्रम 2015 में लॉन्च किया गया था जिसमें हर वयस्क को बुनियादी खाता प्रदान करने के एक मिशन के साथ-साथ पुरुषों की तुलना में महिलाओं का अधिक नामांकन किया गया है।
- इससे पूर्व बैंक लाखों महिलाओं की पहुँच से दूर थे। पीएमजेडीवाई के अंतर्गत बैंकों द्वारा गाँवों में द्वार-द्वार जाकर ग्राहकों का नामांकन किया गया है।
- इसके साथ ही सरकार ने महत्त्वपूर्ण लाभप्रद योजना जैसे- प्रधानमंत्री वय वंदना योजना (पीएमवीवीवाई) के अंतर्गत महिला के नाम वाले आधार से जुड़े खातों में सीधे लाभ/ भुगतान राशि पहुँचाना भी अनिवार्य किया है।
- आधार और इंडिया स्टैक के बायोमेट्रिक ई-केवाईसी प्रमाणीकरण के लिये पुरुषों की तुलना में महिलाओं के लिये बैंक में अपनी पहचान स्थापित करना अधिक आसान है।
समस्याएँ :
- हालाँकि, पीएमजेडीवाई के अंतर्गत अधिक महिलाओं को नामांकित किया गया है लेकिन खाता उपयोग में अभी भी एक बड़ा लिंग अंतराल बना हुआ है।
- मोबाइल फोन अभी भी वित्तीय समावेशन के लिये सबसे आशाजनक उपकरण है लेकिन फिर भी 73% पुरुषों की तुलना में भारत में आधे से अधिक वयस्क महिलाओं के पास अपना मोबाइल फोन नहीं है क्योंकि विभिन्न प्रकार के सामाजिक भय के कारण भारत में महिलाओं द्वारा मोबाइल फोन का उपयोग किया जाना अच्छा नहीं माना जाता है।
- दूसरी प्रमुख समस्या वित्तीय समावेशन के लिये स्मार्टफोन के त्रि-चरणीय उपयोग से जुड़ी हुई है। इसमें एक महिला के वित्तीय समावेशन से जुड़ने के लिये उसका स्मार्टफोन के उपयोग से परिचित होना, क्रेडिट, बीमा और अन्य वित्तीय कार्यविधि को समझना तथा अक्सर एक इंटरफ़ेस का उपयोग करना जो उसकी मूल भाषा में भी नहीं लिखा गया है, को समझना अनिवार्य है।
- इसके साथ ही उपलब्ध मोबाइल फोन का उपयोग विपणन हेतु न करके सोशल साइट हेतु ही किया जाना एक प्रमुख समस्या है।
- तीसरी प्रमुख समस्या वित्तीय उत्पादों को महिलाओं की ज़रूरतों को पूरा करने के लिये संरचित, वितरित नहीं किये जाने से है।
उपर्युक्त समस्याओं के संदर्भ में निम्नलिखित उपायों को अपनाकर आर्थिक क्षेत्र से लिंग अंतराल को समाप्त किया जा सकता है :
- सबसे पहले हमें अधिक महिलाओं के हाथों तक स्मार्टफोन पहुँचाना होगा।
- लंबे समय से हमारा लक्ष्य महिलाओं की वित्तीय साक्षरता में सुधार लाना तो रहा है, लेकिन दूसरा प्रमुख प्रयास महिलाओं की डिजिटल साक्षरता में सुधार की दिशा में भी होना चाहिये।
- बचत, क्रेडिट और बीमा को महिलाओं के वित्तीय जीवन को अधिक प्रासंगिक बनाने के लिये डिज़ाइन किया जाना चाहिये।
- उभरते बाज़ारों में खातों को माइक्रो-क्रेडिट से जोड़ने से महिलाएँ अपने दैनिक प्रबंधन में घरेलू बचतों को अप्रत्याशित व्यय और आपात स्थिति को कवर करने में मदद कर सकती हैं।
- गौरतलब है कि महिलाएँ, पुरुषों की तुलना में जीवन में अधिक उतार-चढ़ाव की स्थिति से गुज़रती हैं तथा वे औपचारिक कार्य से कई बार जुड़ती या बाहर होती हैं, इसलिये निष्क्रिय खातों को पुनः सक्रिय करने की प्रक्रिया को आसान बनाना चाहिये जिससे खातों के उपयोग में वृद्धि हो सकती है।
- इसके साथ ही कई अभिनव व्यावसायिक मॉडलों के आधार पर नए ग्राहक अनुभवों के साथ पारंपरिक वित्तीय सेवाओं को फिर से जोड़ा जाना चाहिये।
चूँकि दुनिया लंबे समय बाद सार्वभौमिक वित्तीय पहुँच के लक्ष्य के बहुत करीब है, इसलिये हमें इसे लिंग अंतराल को समाप्त करने की दिशा में आगे बढ़ते कदम की तरह देखना चाहिये। साथ ही पुरुषों और महिलाओं दोनों के जीवन के लिये वित्तीय सेवाओं को अधिक डिजिटलयुक्त, लचीला और प्रासंगिक बनाकर सभी ग्राहकों के बीच बुनियादी पहुँच को सुनिश्चित करना चाहिये।