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प्रश्न :
उदारीकृत प्रेषण योजना (Liberalised Remittance Scheme) के प्रावधानों पर चर्चा करते हुए, इसके तहत निषिद्ध विषयों का उल्लेख कीजिये।
20 Sep, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्थाउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण-
• उदारीकृत प्रेषण योजना के बारे में बताइये ।
• उदारीकृत प्रेषण योजना के प्रावधानों पर चर्चा कीजिये ।
• योजना के तहत निषिद्ध विषयों का उल्लेख कीजिये ।
• संक्षिप्त निष्कर्ष लिखिये ।
उदारीकृत प्रेषण योजना (LRS) भारतीय रिज़र्व बैंक के द्वारा फरवरी 2004 में $ 25,000 की निर्धारित राशि के साथ प्रारंभ की गई थी। उदारीकृत प्रेषण योजना नाबालिगों सहित सभी निवासी भारतीयों को प्रदान की जाने वाली एक सुविधा है । इसमें वर्तमान और पूंजीगत खाता उद्देश्यों या दोनों के संयोजन के लिए अमेरिकी डॉलर के संदर्भ में एक निश्चित राशि तक की छूट देना शामिल है। LRS की इस सीमा को प्रचलित मैक्रो एवं माइक्रो आर्थिक स्थितियों के अनुरूप विभिन्न चरणों में संशोधित किया जाता रहा है ।
योजना के प्रमुख प्रावधान-
- इस समय LRS के अंतर्गत नाबालिगों सहित सभी निवासी व्यक्तियों को किसी भी अनुमेय चालू या पूंजी खाता लेनदेन या दोनों के संयोजन के लिये प्रत्येक वित्तीय वर्ष (अप्रैल-मार्च) तक $ 2,50,000 तक की छूट दी जाती है।
- नाबालिग प्रेषक के मामले में LRS घोषणा-पत्र को नाबालिग के अभिभावक द्वारा प्रतिहस्ताक्षरित किया जाना आवश्यक है।
- यह योजना किसी कॉर्पोरेट, फर्म, हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) एवं ट्रस्ट आदि के लिये उपलब्ध नहीं है।
- LRS के तहत प्रेषण की आवृत्ति पर कोई प्रतिबंध नहीं है, किंतु एक वित्तीय वर्ष के दौरान भारत में सभी स्रोतों से प्रेषित अथवा उनके माध्यम से खरीदे गए विदेशी मुद्रा की कुल राशि $ 2,50,000 की निर्धारित संचयी (Cumulative) सीमा के भीतर होनी चाहिये।
- ध्यातव्य है कि यदि एक बार किसी वित्तीय वर्ष के दौरान निर्धारित $ 2,50,000 तक की राशि प्रेषित कर दी जाती है, तो एक निवासी व्यक्ति इस योजना के तहत उस वित्तीय वर्ष में आगे कोई प्रेषण करने के लिये पात्र नहीं होगा, भले ही उसके द्वारा निवेश की आय देश में वापस ही क्यों न लाई गई हो।
योजना के अंतर्गत निषिद्ध विषय
- विदेशी विनिमय प्रबंधन अधिनियम (FEMA) की अनुसूची-I के तहत विशेष रूप से निषिद्ध किसी भी उद्देश्य के लिये प्रेषण (जैसे कि लॉटरी टिकट/जुआ ,पत्रिकाओं का संचालन आदि) या विदेशी विनिमय प्रबंधन नियम (चालू खाता लेनदेन), 2000 की अनुसूची-II के तहत प्रतिबंधित कोई वस्तु।
- विदेशों में द्वितीयक बाज़ार में भारतीय कंपनियों द्वारा जारी विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बॉण्ड (FCCB) की खरीद के लिये प्रेषण।
- विदेशों में विदेशी मुद्रा में व्यापार के लिये प्रेषण।
- समय-समय पर वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (FATF) द्वारा ‘गैर-सहकारी देशों और क्षेत्रों ‘ के रूप में पहचान किये गए देशों में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पूंजी खाता प्रेषण।
- उन व्यक्तियों और संस्थाओं को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रेषण, जिन्हें RBI द्वारा बैंकों को अलग से दिये गए निर्देश के अंतर्गत आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्तता के संदर्भ में पहचाना गया हो।
निष्कर्षतः उदारीकृत प्रेषण योजना के अंतर्गत कुछ विषय निषिद्ध है परंतु इसकी प्रासंगिकता बनी हुई है क्योंकि नाबालिगों सहित सभी निवासी व्यक्तियों को आवश्यक सुविधाएँ प्रदान की जा रही हैं ।
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