ई-सिगरेट क्या है? ई सिगरेट निषेध अध्यादेश के प्रावधानों का उल्लेख करते हुए यह बताएँ की ई-सिगरेट का प्रयोग स्वास्थ्य को प्रतिकूल रूप से किस प्रकार प्रभावित कर रहा है।
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण-
• ई-सिगरेट के बारे में बताइये।
• अध्यादेश के प्रमुख प्रावधानों का उल्लेख कीजिये।
• स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों को बताइये।
• संक्षिप्त निष्कर्ष लिखिये।
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ई-सिगरेट या इलेक्ट्रॉनिक निकोटिन डिलिवरी सिस्टम (ENDS) एक बैटरी संचालित डिवाइस है, जो तरल निकोटिन, प्रोपलीन, ग्लाइकॉल, पानी, ग्लिसरीन के मिश्रण को गर्म करके एक एयरोसोल (Aerosol) बनाता है, और यह एक असली सिगरेट जैसा अनुभव देता है।
अध्यादेश के प्रमुख प्रावधान
- इस अध्यादेश की घोषणा के बाद ई-सिगरेट का किसी भी प्रकार से उत्पादन, विनिर्माण, आयात, निर्यात, परिवहन, विक्रय (ऑनलाइन विक्रय सहित), वितरण और विज्ञापन (ऑनलाइन विज्ञापन सहित) एक संज्ञेय अपराध माना जाएगा।
- अध्यादेश के अनुसार, इसके लागू होने की तिथि तक जिन लोगों के पास भी ई-सिगरेट का भंडार होगा उन्हें स्वतः ही इसकी सूचना निकटतम पुलिस स्टेशन में देकर इन सभी ई-सिगरेट्स को वहाँ की पुलिस के पास जमा करना होगा।
- अध्यादेश के तहत पुलिस उप निरीक्षक (Sub-Inspector) को इस संदर्भ में कार्यवाही करने के लिये प्राधिकृत अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया है।
- इसके अतिरिक्त अध्यादेश के प्रावधानों को लागू करने के लिये केंद्र सरकार अथवा राज्य सरकार किसी अन्य समकक्ष अधिकारी को भी प्राधिकृत अधिकारी के रूप में नियुक्त कर सकती है।
स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव
- ई-सिगरेट का अत्यधिक प्रयोग मानव स्वास्थ्य के लिये काफी गंभीर साबित हो सकता है। चूँकि ई-सिगरेट में निकोटिन की अधिकता पाई जाती है, इसलिये इसके प्रयोग से ब्लडप्रेशर संबंधी समस्याएँ बढ़ सकती हैं।
- ई-सिगरेट न सिर्फ कैंसर का कारण बन सकती है, बल्कि इससे हार्ट अटैक का खतरा भी बढ़ जाता है।
- कई अध्ययनों से पता चला है कि ई-सिगरेट बच्चों, किशोरों और गर्भवती महिलाओं के लिये बहुत हानिकारक है। ई-सिगरेट पीने वाले लोगों में श्वसन और जठरांत्र संबंधी रोग पाए गए।
- इसके प्रयोग से मस्तिष्क के विकास में बाधा उत्पन्न होती है एवं सीखने की क्षमता में भी कमी आती है।
- इसके अतिरिक्त यह डिप्रेशन को भी बढ़ा सकती है।
अतः यह कहा जा सकता है कि केंद्र सरकार द्वारा ई-सिगरेट पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय सराहनीय है, परंतु नियम बनाने के साथ-साथ यह भी सुनिश्चित किया जाना आवश्यक है कि उसका पालन भी सख्ती से हो, ताकि कम-से-कम समय में इसके उद्देश्यों की पूर्ति की जा सके।