‘आर्थिक राष्ट्रवाद’ को बढ़ावा देने में 1929 के आर्थिक संकट के योगदान का परीक्षण कीजिये।
उत्तर :
भूमिका में:-
विश्वव्यापी आर्थिक मंदी के सामान्य परिचय से उत्तर प्रारंभ करें।
विषय-वस्तु में:-
आर्थिक राष्ट्रवाद को समझाते हुए कारण के रूप में आर्थिक मंदी तथा इसकी भूमिका पर चर्चा करें, जैसे :
- आर्थिक राष्ट्रवाद के अंतर्गत प्रत्येक राष्ट्र अपने व्यापार वाणिज्य को बढ़ाने का प्रयास करता है।
- विभिन्न निषेधात्मक प्रशुल्क या अत्यधिक ‘आयात कर’ और न्यूनतम ‘निर्यात कर’ लगा दिये जाते हैं जिससे संबंधित राष्ट्र का विदेशी निर्यात बढ़े और आयात घटे।
- प्रथम विश्वयुद्ध के पश्चात् सभी राष्ट्रों ने आत्मनिर्भरता और आर्थिक राष्ट्रीयता की नीति अपनाई।
- यूरोपीय राष्ट्रों ने ऋणों के भुगतान के लिये अपना माल अधिकाधिक बेचना चाहा। किंतु अमेरिका तथा अन्य यूरोपीय राष्ट्रों ने आयातों को नियंत्रित कर दिया था।
- विश्वयुद्ध की मार झेल रहे गरीब राष्ट्रों ने भी मुक्त व्यापार की नीति का त्याग कर दिया। परिणामस्वरूप आर्थिक राष्ट्रवाद की भावना का विकास हुआ।
- आर्थिक मंदी के संकट से बचने के लिये सभी राष्ट्रों ने आर्थिक राष्ट्रवाद की नीति को अपनाया।
- प्रत्येक राष्ट्र ने स्वहित को देखते हुए संकुचित नीतियाँ अपनाईं, फलस्वरूप अंतर्राष्ट्रीय भावना को ठेस पहुँची।
- अन्य राष्ट्रों को सहायता देना बंद कर दिया और प्रशुल्क रूपी दीवारें खड़ी कर दी गईं।
आर्थिक राष्ट्रवाद की नीति के परिणामस्वरूप तत्कालीन विश्व व्यापार आधा ही रह गया।
अंत में प्रश्नानुसार संक्षिप्त, संतुलित एवं सारगर्भित निष्कर्ष प्रस्तुत करें।
नोट: निर्धारित शब्द-सीमा में उत्तर को विश्लेषित करके लिखें।