समान नागरिक संहिता पर आरोप लगाया जाता है कि यह किसी एक धर्म का अतिक्रमण करती है। वैधानिक या कानूनी तौर पर क्या यह सही है ? स्पष्ट कीजिये।
18 Sep, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था
हल करने का दृष्टिकोण • भूमिका में नागरिक संहिता के बारे में बताईये। • समान नागरिक संहिता धार्मिक स्वतंत्रता को किस प्रकार बाधित करती है, इसके बारे में वर्णन कीजिये। • समान नागरिक संहिता के सकारात्मक पक्ष को उजागर कीजिये। • अंततः आगे की राह बताते हुए निष्कर्ष लिखिये। |
भारत एक विविधता से परिपूर्ण देश है तथा यहाँ निवास करने वाले सभी धर्म के व्यक्तियों के अलग- अलग रीति-रिवाज व मान्यताएँ हैं। इसके साथ ही सभी धर्मों के शादी, तलाक तथा ज़मीन-जायदाद के बँटवारे आदि से संबंधित अलग-अलग कानून भी हैं। समान नागरिक संहिता भारत के सभी धर्मों के नागरिकों के लिये एक समान धर्मनिरपेक्ष कानून का प्रावधान करती है। भारतीय संविधान के भाग 4 (राज्य के नीति निदेशक तत्त्व) के तहत अनुच्छेद 44 के अनुसार, भारत के समस्त नागरिकों के लिये एक समान नागरिक संहिता होगी।
समान नागरिक संहिता बनाम धर्मनिरपेक्षता
समान नागरिक संहिता के पक्ष में तर्क-
निष्कर्षतः भारतीय संविधान भारत में विधि के शासन की स्थापना की वकालत करता है। ऐसे में आपराधिक मामलों में जब सभी समुदायों के लिये एक कानून का पालन होता है तो सिविल मामलों में अलग कानून पर सवाल उठना लाजिमी है। साथ ही यह भी ज़रूरी है कि देश को समान कानून में पिरोने की पहल अधिकतम सर्वसम्मति की राह अपना कर की जाए। ऐसी कोशिशों से बचने की ज़रूरत है जो समाज को ध्रुवीकरण की राह पर ले जाएँ और सामाजिक सौहार्द्र के लिये चुनौती पैदा कर दें।