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प्रश्न :
यदि प्रथम नीली क्रांति की असफलता से सीख नहीं ली गई तो “नई नीली क्रांति 2.0” अनुत्पादक साबित हो सकती है। टिप्पणी कीजिये।
18 Sep, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्थाउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण
• नीली क्रांति का परिचय दीजिये।
• प्रथम नीली क्रांति के बारे में बताते हुए नीली क्रांति 2.0 लाने की आवश्यकता पर चर्चा कीजिये।
• नीली क्रांति 2.0 के उद्देश्यों को लिखिये।
• अंततः संक्षिप्त एवं सारगर्भित उत्तर लिखिये।
नीली क्रांति किसानों की आय दोगुनी करने हेतु एक सहबद्ध कार्यक्रम है , जिसके अंतर्गत मछली तथा समुद्री उत्पादों को बढ़ावा दिया जाता है। इसका संबंध मत्स्यपालन उद्योग में तीव्र विकास से है। हाल ही में पेश किये गए बजट में मत्स्य क्षेत्र को सशक्त करके एक नई ‘नीली क्रांति’ को जन्म देने की प्रतिबद्धतता को दोहराया गया है। भारत में व्यापक नदी तंत्र तथा समुद्री क्षेत्र मौजूद है जिसमें मत्स्य पालन एवं जलीय कृषि के लिये अपार संभावनाएँ मौजूद हैं।
भारत की पहली नीली क्रांति 1985 से 1990 में सातवीं पंचवर्षीय योजना के दौरान शुरू की गई थी। 1992 से 1997 तक आठवीं पंचवर्षीय योजना के दौरान, गहन समुद्री मत्स्यपालन कार्यक्रम शुरू किया गया था जिसमें बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ सहयोग को प्रोत्साहित किया गया था। इन प्रयासों के फलस्वरूप मत्स्यपालन के क्षेत्र में तेज़ी से विकास हुआ। किंतु फिर भी भारत अपने यहाँ ताज़े जल के मछलीपालन के लिये उपलब्ध पोखरों, तालाबों और अन्य जल निकायों का केवल 40 प्रतिशत तथा खारे जल स्रोतों का केवल 15 प्रतिशत ही उपयोग कर पाया। इसी को ध्यान में रखते हुए नीली क्रांति 2.0 की शुरुआत की गई जो कि फिशरीज़ के विकास एवं प्रबंधन पर केंद्रित है। इसमें प्रथम नीली क्रांति में हुई गलतियों से बचते हुए निम्न उद्देश्य निर्धारित किये गए हैं-
- देश की कुल मत्स्य क्षमता का पूर्ण दोहन, चाहे यह अंतर्देशीय क्षेत्र में हो या समुद्री क्षेत्र में और वर्ष 2020 तक उत्पादन को तिगुना करना।
- फिशरीज़ क्षेत्र को एक आधुनिक उद्योग में रूपांतरित करना जिसमें नई प्रौद्योगिकी और प्रक्रियाओं पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
- मछुआरों और मछली उत्पादकों की आय दोगुनी करना इसमें उत्पादकता बढ़ाने और मछली उत्पादन के बाद की विपणन अवसंरचना, जिसमें ई-कॉमर्स और अन्य प्रौद्योगिकियाँ तथा सर्वोत्तम वैश्विक नवोन्मेष शामिल हैं, को बेहतर करने पर ध्यान केन्द्रित करना।
- आय वृद्धि में मछुआरों और मछली उत्पादकों की समावेशी सहभागिता सुनिश्चित करना।
- वर्ष 2020 तक निर्यात आय को तीन गुना करना जिसमें इस बात पर ध्यान दिया जाएगा कि इसका लाभ मछुआरों और मछली उत्पादकों तक पहुँचे।
- देश में खाद्य और पोषण सुरक्षा बढ़ाना।
निष्कर्षतः नीली क्रांति 2.0 का उचित क्रियान्वयन भारत की लंबी तट रेखा को अर्थव्यवस्था की शक्ति बनाने में मदद करेगा। नीली अर्थव्यवस्था की सहायता से भारत 2.7 ट्रिलियन डॉलर की अपनी वर्तमान अर्थव्यवस्था को और तेज़ी से आगे बढ़ा सकता है तथा रोज़गार सुनिश्चित करने के साथ-साथ कृषकों की आय दोगुनी करने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
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