अकहानी आन्दोलन का परिचय देते हुए उसकी प्रमुख प्रवृत्तियों पर प्रकाश डालिये।
18 Sep, 2019 रिवीज़न टेस्ट्स हिंदी साहित्यअकहानी आंदोलन का सूत्रपात 1960 के दशक में ‘नई कहानी’ के विरोध में हुआ। यह फ्राँस के ‘एन्टी स्टोरी मूवमेंट’ से प्रभावित आन्दोलन है। इस आन्दोलन की कहानियों में जीवन के प्रति अस्वीकार का भाव वैसे ही दिखता है जैसे अकविता की कविताओं में दिखाई पड़ता है।
गंगा प्रसाद विमल की ‘प्रश्नचिन्ह’, दूधनाथ सिंह की ‘रीछ’, रवींद्र कालिया की ‘नौ साल छोटी पत्नी’, आदि अकहानी के कुछ प्रमुख उदाहरण हैं।
अकहानी आंदोलन की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
1. जीवन-मूल्यों का तिरस्कार: अकहानी जीवन मूल्यों को चुनौती देती हुई कुछ नए प्रश्न उपस्थित करती है। यही कारण है कि इसमें भाव-बोध के धरातल पर आत्मपीड़न, ऊब, अकेलापन, अजनबीपन, निरर्थकता बोध, विसंगति आदि का चित्रण दिखाई देता है।
2. परंपरा का पूर्ण नकार: अकहानी पुरानी व्यवस्था से कोई संबंध नहीं रखना चाहती। परम्परा के प्रति उसमें गुस्से भरा नकार-भाव दिखाई देता है।
3. अतिशय आधुनिकता: अकहानी, अतिशय आधुनिकता पर जोर देती है और इसी कारण से वह समाज से कट जाती है। अकहानी ‘संबंधहीनता’ की स्थितियों को उभारती है। इसमें संबंधों के जिस संसार का चित्रण है, वह बहुत भयावह, तकलीफदेह और निर्मम है।
4. यौन-उन्मुक्तता: अकहानी में पर-पुरुष या पर-स्त्री के साथ संभोग के दृश्यों का वर्णन विस्तार से हुआ है। इसके अतिरिक्त ‘अकहानी’ के अन्तर्गत समलैंगिक संपर्क तथा पशु संपर्क की कहानियाँ भी लिखी गईं।
5. शिल्पगत अमूर्तता: शिल्प के स्तर पर, अकहानी आंदोलन पारंपरिक शिल्प का विरोध तो करता ही है, साथ ही नए शिल्प के प्रति भी उदासीन है। यह एक शिल्पहीन आंदोलन है।