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प्रश्न :
सिंधुकालीन स्थापत्य कला का वर्णन कीजिये।
17 Sep, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 1 संस्कृतिउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण-
• सिंधुकालीन/हड़प्पाकालीन स्थापत्य कला का परिचय दीजिये।
• हड़प्पाकालीन स्थापत्य कला की प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
भारत में सर्वप्रथम हड़प्पा सभ्यता में सुव्यवस्थित स्थापत्य निर्माण के साक्ष्य प्राप्त होते हैं। हड़प्पा सभ्यता भारतीय संस्कृति की लंबी एवं वैविध्यपूर्ण कहानी का आरंभिक बिंदु है। भारतीय वास्तुकला के प्राचीनतम नमूने हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, रोपड़ आदि से प्राप्त होते हैं। हड़प्पा पूर्व ग्रामीण संस्कृतियों को नगरीय सभ्यता बनने में हज़ार वर्ष से अधिक का समय लगा। अतः हड़प्पा सभ्यता के स्थापत्य की प्रमुख विशेषताओं में इसकी नगर निर्माण योजना शामिल है।
हड़प्पाकालीन स्थापत्य कला की प्रमुख विशेषताएँ-
नगर स्थापत्य योजना-
- हड़प्पा सभ्यता के समस्त नगर ग्रिड प्लानिंग के तहत बसाए गए थे, यानी आयताकार खंड में विभाजित नगर, जहाँ सड़कें एक-दूसरे को समकोण पर काटती थीं।
- भवनों में पक्की और निश्चित आकार की ईटों के अलावा लकड़ी और पत्थर का प्रयोग भी किया जाता था।
- बरामदा घरों के बीचों बीच बनाया जाता था।
- जल-मल निकास व्यवस्था सिंधु सभ्यता की एक अद्वितीय विशेषता है।
- घर के गंदे पानी की निकासी के लिये ढँकी हुई नालियाँ बनाई गई थीं।
- हड़प्पा सभ्यता के नगरों में सभी प्रकार के भवन मिले हैं किंतु मंदिर का कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं मिला।
ईंटो का संदर्भ -
- हड़प्पा सभ्यता के लोगों ने पहली बार पकी ईटों का निर्माण किया, जो सुडौल, हल्के रंग की तथा निश्चित अनुपात की होती थीं।
- ईंटों के आकार में समरूपता दिखाई देती है। चाहे वह लोथल में बनी हो या मोहनजोदड़ों में।
विशाल स्नानागार-
- विशाल स्नानागार को हड़प्पा सभ्यता की प्रमुख इमारतों में गिना जाता है। यह मोहनजोदड़ो के गढ़ी क्षेत्र से प्राप्त हुआ है।
- इसे परिसर इसलिये कहा गया क्योंकि इसमें स्नानागार के साथ-साथ तीन ओर बरामदा है, बरामदे पर ही कमरा, सीढ़ी, तालाब और कुआँ स्थित है।
निष्कर्षतः सिंधु सभ्यता की वास्तुकला अत्यंत विकसित थी जिसने वर्तमान की नगरीय स्थापत्य कला को भी दिशा प्रदान की।
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