भारत सहित पूरा विश्व आज मरुस्थलीकरण की समस्याओं से जूझ रहा है। इस गंभीर समस्या से निपटने में ‘संयुक्त राष्ट्र मरुस्थलीकरण रोकथाम अभिसमय’ (UNCCD) कितना प्रासंगिक है, चर्चा कीजिये।
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण
• मरुस्थलीकरण से संबंधित प्रभावी भूमिका लिखिये।
• मरुस्थलीकरण की रोकथाम हेतु UNCCD के प्रयासों व उसकी सार्थकता की चर्चा कीजिये।
• संतुलित निष्कर्ष लिखिये।
|
वनों की अंधाधुंध कटाई और पर्यावरण को नुकसान पहुँचाने वाली मानव गतिविधियों के कारण धरती लगातार सिकुड़ती जा रही है। उपजाऊ ज़मीन मरुस्थल में बदल रही है। आज भारत सहित पूरा विश्व मरुस्थलीकरण की समस्या से जूझ रहा है। मरुस्थलीकरण के कारण हर साल लाखों लोग विस्थापित हो रहे हैं। इन्हीं समस्या से निपटने के लिये पूरा विश्व ‘संयुक्त राष्ट्र मरुस्थलीकरण रोकथाम अभिसमय’ (UNCCD) पर सहमत हुआ।
मरुस्थलीकरण की रोकथाम हेतु UNCCD के प्रयास -
- UNCCD एकमात्र अंतर्राष्ट्रीय समझौता है जो पर्यावरण एवं विकास के मुद्दों पर कानूनी रूप से बाध्यकारी है तथा यह मरुस्थलीकरण की रोकथाम हेतु विश्व के देशों को दिशा निर्देश प्रदान करता है।
- इसके द्वारा मरुस्थलीकरण की चुनौती से निपटने के लिये अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष 17 जून को ‘विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस’ मनाया जाता है।
- बॉन चुनौती (Bonn Challenge) एक वैश्विक प्रयास है। इसके तहत वर्ष 2020 तक दुनिया के 150 मिलियन हेक्टेयर गैर-वनीकृत एवं बंजर भूमि पर और वर्ष 2030 तक 350 मिलियन हेक्टेयर भूमि पर वनस्पतियाँ उगाई जाएंगी।
चुनौतियाँ
- वैश्विक स्तर पर किये जा रहे उपरोक्त प्रयासों को देश प्रभावी तरीके से लागू नहीं कर पा रहे हैं।
- अल्पविकसित व विकासशील देश तकनीक व वित्त के अभाव के चलते मरुस्थलीकरण को रोकने के प्रयासों में विफल हो जाते हैं।
- विकसित देशों के स्वार्थपूर्ण रवैये के चलते वे पर्यावरण से अधिक अपने विकास को महत्त्व देते हैं।
- आम जनता में जागरूकता के अभाव के चलते मरुस्थलीकरण को बढ़ावा देने वाली गतिविधियों की रोकथाम में कमी नहीं आ पा रही है।
- इसके अतिरिक्त मिट्टी का जल एवं वायु से कटाव, औद्योगिक कचरा, कृषि में रसायनों का प्रयोग, निर्वनीकरण, तेज़ी से बढ़ती जनसंख्या आदि प्रमुख समस्याएँ हैं।
निष्कर्षतः मरुस्थलीकरण की समस्या जिस रफ़्तार से बढ़ रही है, उसकी रोकथाम में UNCCD अकेला प्रभावी नहीं हो सकता। इस समस्या के समाधान हेतु संपूर्ण विश्व को एक साथ आने की ज़रुरत है तथा देशों के साथ-साथ नागरिकों को भी अपने स्तर पर प्रयास करने की आवश्यकता है। इसके लिये निम्न प्रयास किये जा सकते हैं-
- वृक्षारोपण की दर को तेज़ी से बढ़ाना एवं समानांतर रूप से निर्वनीकरण पर रोक लगाना।
- मरुस्थलीय क्षेत्र में क्षेत्र के अनुकूल पौधों को लगाना।
- मिटटी के अपरदन को रोकना, साथ ही कृषि कार्यों में अत्यधिक रासायनिक उर्वरक का प्रयोग न करते हुए मरुस्थलीय क्षेत्र में सूक्ष्म सिंचाई (Micro Irrigation) को बढ़ावा देना।
- अवैध खनन गतिविधियों पर रोक एवं कॉर्पोरेट कंपनियों को ‘कॉर्पोरेट सोशल रेस्पाॅन्सिबिलिटी के तहत वृक्षारोपण का कार्य सौंपा जाना।