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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    जेल अगर अमानवीय यातना की जगह के रूप में तब्दील हो जाएँ तो इंसान सुधरने की बजाय अंतहीन पीड़ा से घिर जाएगा। भारत में जेल सुधार की स्थिति स्पष्ट करते हुए कैदियों हेतु सामाजिक न्याय के उपाय सुझाईये।

    16 Sep, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 2 सामाजिक न्याय

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण

    • कैदियों और उनके मानवाधिकार पर चर्चा करते हुए उत्तर आरंभ कीजिये।

    • भारत में जेलों की स्थिति तथा कैदियों को जेल में होने वाली समस्याओं का वर्णन कीजिये।

    • समस्या के समाधान हेतु उपाय सुझाईये।

    • आगे की राह बताते हुए निष्कर्ष लिखिये।

    जेल के कैदियों को समाज से अलग-थलग कर उन्हें उनके अपराधों की सजा दी जाती है। लेकिन एक सभ्य समाज की यह पहचान है कि वह अपराध करने वालों के मानवाधिकारों का हनन न करे। इसके साथ ही जो दोष सिद्ध हुए बिना न्याय के इंतज़ार में कैदी जीवन व्यतीत करते हैं उनके मानवाधिकार की रक्षा को प्राथमिकता दी जाए।

    भारत में जेलों की स्थिति-

    • जेल सांख्यिकी 2015 के अनुसार, भारतीय जेलों में क्षमता से 14 गुना अधिक कैदी बंद थे तथा यह आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है।
    • जेलों की संख्या में कोई खासा वृद्धि देखने को नहीं मिल रही है।
    • विचाराधीन कैदियों की संख्‍या अधिक है।
    • जेलों में पर्याप्‍त बुनियादी ढाँचागत सुविधाओं का अभाव है।
    • जेल प्रशासन के लिये उचित धन एवं स्‍टाफ की कमी विद्यमान है।
    • महिला कैदियों एवं उनके बच्‍चों की सुरक्षा की स्थिति अत्यंत दयनीय स्थिति में है।

    कैदियों से संबंधित समस्याएँ-

    • कैदियों की अधिक संख्या होने के कारण उन्हें आवश्यक पौष्टिक आहार तथा स्वच्छ वातावरण नहीं मिल पाता है।
    • अमानवीय स्थितियों के चलते अनेक कैदियों की मृत्यु हो जाती है।
    • स्वच्छता के अभाव में विशेष रूप से महिलाओं को गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
    • जेलों की दयनीय स्थिति के चलते कैदियों के मनोरोगी व अवसाद से ग्रसित होने की संभावनाएँ बढ़ जाती हैं।

    इस समस्या के समाधान हेतु उपाय-

    • जेल संबंधी सुधारों को निम्नलिखित दो समस्याओं से निपटने के लिये तैयार किया जाना चाहिये:
      • जेल प्रशासन में संसाधनों की कमी।
      • यह मानसिकता कि जो जेल में रहते हैं वे सुविधाओं के लायक नहीं हैं।
    • कैदियों की अधिक संख्या, जेल में क्रूरता और कट्टरता, स्वच्छता की कमी तथा जेल में रहन-सहन के अस्वीकार्य मानकों पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिये।
    • न्यायालयों में लंबित मुकदमों से निपटने के लिये जजों की संख्या बढाई जाए व न्याय की प्रक्रिया को सस्ता बनाया जाए।

    देखा जाए तो जेल सुधार का मसला एक मानवीय मसला है। एक सभ्य समाज में जेलों का मकसद अपराधियों को सुधार कर एक बेहतर इंसान बनाना होता है। एक जीवित व्यक्ति चाहे वह जेल में हो या जेल से बाहर, को पूरी तरह से सम्मान से जीने का अधिकार है। वास्तविक रूप में न्याय का शासन स्थापित करने के लिये जेल सुधार समय की मांग है।

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