राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना क्या है? इसके परिप्रेक्ष्य में बताइये कि केरल के संदर्भ में विदेशी सहायता स्वीकार न करना कहाँ तक उचित है?
30 Aug, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 आपदा प्रबंधन
उत्तर की रूपरेखा
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प्रधानमंत्री ने मई 2016 में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना (NDMP) जारी की जो देश की पहली इस तरह की राष्ट्रीय योजना है। एनडीएमपी आपदा जोखिम घटाने के लिये सेंदाई फ्रेमवर्क में तय किये गए लक्ष्यों और प्राथमिकताओं के साथ मोटे तौर पर तालमेल स्थापित करता है।
योजना का विज़न
केरल में आई भयावह बाढ़ ने देश-दुनिया का ध्यान आकर्षित किया है और इस बाढ़ की विभीषिका का अंदाजा इसी तथ्य से लगाया जा सकता है कि इसे राष्ट्रीय स्तर पर ‘गंभीर श्रेणी की आपदा’ घोषित किया गया है। इसके साथ ही केरल में राहत, बचाव एवं पुनर्निर्माण कार्यों के लिये केंद्र सरकार ने अब तक राज्य को हरसंभव सहायता प्रदान की है। आपदा के दौरान भारत के विभिन्न राज्यों ने आगे बढ़कर आर्थिक सहायता मुहैया करवाई इसके साथ ही दुनिया के विभिन्न देशों ने भी आर्थिक सहायता की पेशकश की है। जिसमें संयुक्त अरब अमीरात से लगभग ₹ 700 करोड़ तथा मालदीव ने लगभग ₹ 35 लाख तक की आर्थिक सहायता की पेशकश की है। इसके अलावा संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने केरल के बाढ़ प्रभावित इलाकों में मदद हेतु एक कमेटी बनाने की भी घोषणा की है।
केरल में राहत और पुनर्वास कार्यों के लिये भारत ने विदेशी सरकारों से वित्तीय सहायता के प्रस्तावों को अपनाए जाने से इनकार कर दिया है जिसने केंद्र और राज्य सरकार के बीच एक विवाद उत्पन्न कर दिया है क्योंकि केंद्र सरकार मौजूदा नीति के अनुरूप घरेलू प्रयासों के माध्यम से ही केरल में आवश्यकताओं को पूरा करना चाहती है । इस विवाद को बहुआयामी रूप में देखने की आवश्यकता है। निःसंदेह केरल गंभीर आपदा से जूझ रहा है और उसके लिये इस समय छोटी वित्तीय सहायता भी मायने रखती है, किंतु हमें यह नहीं भूलना चाहिये कि केंद्र सरकार ने प्रारंभ से ही इस विपत्ति में केरल की हरसंभव सहायता की है। इसके अलावा इस कठिन परिस्थिति में समूचा देश केरल की यथासंभव सहायता कर रहा है।
हालाँकि, किसी अन्य देश से सहायता लेना भले ही नियमों के अनुसार गलत न हो, किंतु जब सरकार को लगता है कि यह विपत्ति उसके सामर्थ्य से बाहर नहीं हैं तो इस स्थिति में हमें धैर्य का परिचय देने की आवश्यकता है। इसके अलावा यह मुद्दा विश्व में भारत की साख से जुड़ा हुआ है और जल्दीबाजी में लिया गया कोई भी निर्णय भारत की छवि को नुकसान पहुँचा सकता है।