गीता और कांट के दर्शन की तुलना कीजिये।
12 Sep, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न
हल करने का दृष्टिकोण • प्रभावी भूमिका में गीता और कांट के दर्शन का संक्षिप्त परिचय दीजये। • दोनों दर्शनों में समानता लिखिये। • दोनों दर्शनों में अंतर बताइये। • अंततः सारगर्भित निष्कर्ष लिखिये। |
गीता हिन्दू धर्म तथा वेदांत दर्शन का सबसे महत्त्वपूर्ण ग्रंथ है। वेदों और उपनिषदों में जिन नैतिक और दार्शनिक सिद्धांतों का प्रतिपादन किया गया है, गीता उनमें समन्वय स्थापित करके उनका सारतत्त्व प्रस्तुत करती है। वहीं पश्चिमी दर्शन में निरपेक्षवादी नीतिमीमांसा का चरम विकास कांट के दर्शन में दिखाई देता है। इस सिद्धांत का सार यह है कि नैतिकता न तो मनुष्य की इच्छाओं या भावनाओं से संबंधित होती है और न ही कार्यों के परिणामों से, नैतिकता का एकमात्र संबंध विशुद्ध कर्त्तव्य चेतना से है।
गीता और कांट के दर्शन में समानताएँ-
गीता और कांट के दर्शन में अंतर-
स्पष्टतः एक तरफ जहाँ गीता मानव जीवन के चार आश्रमों तथा पुरुषार्थों, कर्मवाद, पुनर्जन्म, आत्मा की अमरता आदि सिद्धांतों द्वारा समाज में नैतिकता स्थापित करने का प्रयास करती है तो वहीं दूसरी तरफ कांट का दर्शन प्रत्येक स्थिति में नैतिकता के पालन का समर्थन करता है।