क्या वैश्विक स्तर पर उदारवाद का अंत हो रहा है? तर्क दीजिये।
10 Sep, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भारतीय समाज
हल करने का दृष्टिकोण • उदारवाद के बारे में बताइये। • वर्तमान में वैश्विक स्तर पर उदारवाद की स्थिति को बताइये। • संतुलित निष्कर्ष लिखिये। |
उदारवाद एक राजनीतिक और नैतिक दर्शन है जो स्वतंत्रता, शासित की सहमति और कानून के समक्ष समानता पर आधारित है। उदारवाद आमतौर पर व्यक्तिगत अधिकारों (नागरिक अधिकारों और मानवाधिकारों सहित), पूंजीवाद (मुक्त बाज़ार ), लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता, लिंग समानता, नस्लीय समानता और अंतर्राष्ट्रीयता का समर्थन करता है।
प्रबोधन काल के बाद से पश्चिम में दार्शनिकों और अर्थशास्त्रियों के बीच उदारवाद काफी लोकप्रिय हुआ। उदारवाद ने वंशानुगत विशेषाधिकार, राज्य में धार्मिक तंत्र तथा राजाओं के दिव्य अधिकारों जैसे पारंपरिक रूढ़िवादी मानदंडों को प्रतिनिधि लोकतंत्र और कानून के शासन द्वारा परिवर्तित करने की मांग की थी। इस समय तक उदारवाद की सफलता निर्विवाद रही थी और भविष्य में भी उदारवाद का कोई ठोस विकल्प नहीं दिखाई दे रहा था। किंतु हाल ही में G-20 की बैठक से ठीक पहले रूसी राष्ट्रपति का यह कहना कि वैश्विक स्तर पर उदारवाद का अंत हो रहा है, उदारवाद के अस्तित्व पर सवाल उठाता है इसमें अंतर्निहित कारक निम्नानुसार हैं-
आज सम्पूर्ण मानव जाति के कल्याण हेतु आवश्यक है कि विश्व वसुधैव कुटुम्बकम की अवधारणा अपनाए। वैश्विक स्तर पर संरक्षणवादी नीतियों को त्याग कर उदारीकरण को बढ़ाने की आवश्यकता है ताकि सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक रूप से पिछड़े क्षेत्रों का समावेशी विकास किया जा सके।