केंद्र सरकार द्वारा नक्सलवाद को ख़त्म करने के लिये किये जा रहे प्रयास किस स्तर तक सफ़ल हुए हैं, टिप्पणी कीजिये।
10 Sep, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 3 आंतरिक सुरक्षा
हल करने का दृष्टिकोण • नक्सलवाद की पृष्ठभूमि लिखिये। • नक्सलवाद को रोकने हेतु किये गए प्रयासों पर चर्चा कीजिये। • प्रयास किस हद तक सफल हुए हैं, यह भी बताइये। • आगे की राह बताते हुए निष्कर्ष लिखिये। |
भारत में नक्सली हिंसा की शुरुआत वर्ष 1967 में पश्चिम बंगाल में दार्जिलिंग ज़िले के नक्सलबाड़ी नामक गाँव से हुई और इसीलिये इस उग्रपंथी आंदोलन को ‘नक्सलवाद’ के नाम से जाना जाता है। ज़मींदारों द्वारा छोटे किसानों के उत्पीड़न पर अंकुश लगाने हेतु यह आंदोलन शुरू किया गया था। आंदोलनकारियों का मानना था कि भारतीय मज़दूरों और किसानों की दुर्दशा के लिये सरकारी नीतियाँ ज़िम्मेदार हैं।
दरअसल, यह आंदोलन हिंसा पर आधारित है और इसमें धनवानों तथा सत्ता की मदद करने वालों की हत्या कर देना एक आम बात है। सच कहा जाए तो, अन्याय और गैर-बराबरी से पैदा हुआ यह आंदोलन देश और समाज के लिये नासूर बन गया है। हालाँकि सरकार द्वारा किये गए प्रयासों के फ़लस्वरूप इसमें कमी भी देखने को मिली है, सरकार द्वारा किये गए प्रमुख प्रयास इस प्रकार हैं -
सरकार, सुरक्षा बलों एवं स्थानीय लोगों की संयुक्त कोशिशों का ही परिणाम है कि पिछले एक दशक में वामपंथी अतिवाद संबंधी घटनाओं, मौतों और नक्सलवाद के भौगोलिक प्रसार में काफी कमी आई है। जहाँ वर्ष 2010 में वामपंथी अतिवाद से प्रभावित ज़िलों की संख्या 96 थी, वहीं वर्ष 2018 में प्रभावित ज़िलों की संख्या 60 रह गई है। इसके अतिरिक्त नक्सलवाद में शामिल युवाओं के आत्मसमर्पण की घटनाओं में भी वृद्धि देखने को मिली।
निष्कर्षतः इस समस्या के समाधान हेतु नक्सलवादियों को मुख्य धारा से जोड़ना ज़रूरी है तथा इसके लिये वामपंथी अतिवाद से ग्रसित क्षेत्रों की क्षेत्रीय विशेषता यथा-कलाकृतियों आदि के निर्माण से संबंधित व्यापार को ऑनलाइन मार्केट से जोड़ना, इन क्षेत्रों में तैनात सुरक्षा बलों को वामपंथी उग्रवादी संगठनों के नेताओं से बातचीत करने के लिये बढ़ावा देना, शिक्षा, रोज़गार, अवसंरचनात्मक विकास और आपसी संवाद को बढ़ाना आदि कार्य किये जा सकते हैं। इसके साथ ही राज्यों को अपनी आत्मसमर्पण नीति (Surrender Policy) को और अधिक तर्कसंगत बनाने की आवश्यकता है।