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प्रश्न :
“बहुमत का शासन जब ज़ोर-जबरदस्ती का शासन हो जाए तो वह उतना ही असहनीय हो जाता है जितना कि नौकरशाही का शासन।” महात्मा गाँधी के इस कथन के आलोक में अपने विचार व्यक्त कीजिये।
09 Sep, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्नउत्तर :
• परिचय में कथन को स्पष्ट कीजिये।
• लोकतांत्रिक शासन की विशेषताएँ बताते हुए बहुमत से उत्पन्न होने वाले तानाशाही के खतरे पर प्रकाश डालिये।
• अंततः एक सारगर्भित निष्कर्ष लिखिये।
उपरोक्त कथन इस बात की ओर संकेत करता है कि यदि किसी लोकतांत्रिक देश में बहुमत की सरकार नागरिकों के कल्याण की उपेक्षा कर अपनी मनमानी चलाती है तो लोकतांत्रिक व्यवस्था उस तानाशाही व्यवस्था में परिवर्तित हो सकती है जहाँ नागरिकों की स्वतंत्रता और अधिकार खतरे में पड़ जाएंगे।
लोकतंत्र दो अवधारणाओं से निर्मित होता है पहला ‘लोक’ और दूसरा ‘तंत्र’ जो कि कानून बनाता है किंतु दोनों के मध्य सामंजस्य अत्यावश्यक है। एक लोकतांत्रिक व्यवस्था ऐसे समाज का निर्माण करती है, जिसमें समाज का हर व्यक्ति समान हो। लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनता अप्रत्यक्ष रूप से अपने चुने हुए प्रतिनिधियों द्वारा शासन करती है किंतु यदि ये चयनित प्रतिनिधि अपने दायित्व के प्रति उदासीनता बरतें तथा जनता की उपेक्षा करें तो शासन में तानाशाही उत्पन्न हो सकती है। चूँकि भारत में 5 वर्ष की अवधि के लिए सरकार का चुनाव होता है, अतः यदि यहाँ बहुमत की कोई सरकार तानाशाही रवैया अपनाती है तो इसका खामियाजा 5 वर्षों तक संपूर्ण देश की जनता को भुगतना पड़ सकता है।
वस्तुतः गांधी जी आदर्श स्थिति में राज्य के अस्तित्व का निषेध करते थे। उनके अनुसार, व्यक्ति की आत्मिक स्वतंत्रता सर्वोपरि थी और एक लोकतांत्रिक शासन में इसे बनाए रखने के यथासंभव प्रयास किये जाने चाहिये। इसके लिये देश में राइट टू रिकॉल जैसे प्रावधान होने चाहिये तथा सूचना का अधिकार एवं सिटीजन चार्टर जैसे प्रयासों को और अधिक मज़बूती से लागू किया जाना चाहिये।
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