रासायनिक कृषि का जैविक कृषि से प्रतिस्थापन न केवल पर्यावरण बल्कि कृषकों के लिये भी हितकारी सिद्ध होगा। टिप्पणी कीजिये।
06 Sep, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 3 पर्यावरण
हल करने का दृष्टिकोण परिचय में रासायनिक कृषि के पीछे के कारणों को बताइये। रासायनिक कृषि का कृषकों और पर्यावरण पर प्रभाव बताइये। जैविक कृषि के लाभ व इससे संबंधित चुनौतियों का वर्णन कीजिये। आगे की राह बताते हुए निष्कर्ष लिखिये। |
भारत की आबादी लगातार बढ़ रही है तथा इसकी खाद्यान्न आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु कृषि उत्पादन में वृद्धि किये जाने की आवश्यकता है। इसके चलते कृषि में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का अतिशय प्रयोग किया जा रहा है जो पर्यावरण को नुकसान पहुँचाने के साथ-साथ कृषकों की लागत को भी बढ़ाता है। हालाँकि 1960 के दशक में आई हरित क्रांति ने कृषि उत्पादन को अत्यधिक बढ़ाया था तथा इसमें रासायनिक उर्वरकों की प्रमुख भूमिका रही थी।
रासायनिक कृषि कृषकों को ऋणग्रस्तता की ओर धकेलती है और उर्वरक कंपनियों को लाभ प्रदान करती है। सरकार द्वारा प्रदत्त भारी उर्वरक सब्सिडी का लाभ लघु कृषकों को नहीं मिलता बल्कि उर्वरक निर्माता इसका लाभ उठाते रहे हैं। खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) ने इस बात की पुष्टि की है कि रासायनिक कृषि का संबंध कृषक ऋणग्रस्तता और आत्महत्याओं से है, इसके अतिरिक्त रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग पर्यावरण प्रदूषण को बढ़ावा देता है तथा मृदा की गुणवत्ता को कम करने के साथ-साथ उसकी उर्वरा शक्ति को भी कम करता है। इसके विपरीत जैविक कृषि पर्यावरण, कृषक मानव स्वास्थ्य सभी के लिये लाभदायक है।
जैविक कृषि के लाभ
कृषकों की दृष्टि से लाभ
पर्यावरण की दृष्टि से लाभ
जैविक कृषि से जुड़ी चुनौतियाँ
भारत में जैविक खेती तभी सफल हो सकती हैं जब सरकार जैविक खेती करने वालों को स्वयं के संस्थानों से प्रमाणीकृत खाद सब्सिडी पर उपलब्ध करवाए तथा चार साल की अवधि के लिये गारंटी युक्त आमदनी हेतु बीमा की व्यवस्था करके प्रारंभिक सालों में होने वाले घाटे की क्षतिपूर्ति करे। सरकार को पशुपालन को बढ़ावा देना चाहिये जिससे किसान जैविक खाद के लिये पूरी तरह बाज़ार पर आश्रित न रहें। तात्कालिक आवश्यकता यह है कि प्राथमिकताओं में परिवर्तन लाया जाए और सब्सिडी को रासायनिक कृषि से जैविक कृषि की ओर मोड़ा जाए जैसा कि सिक्किम राज्य ने किया है।