हाल ही में ‘सर्वोच्च न्यायालय’ ने मुख्य चुनाव आयुक्त एवं अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की संवैधानिक प्रक्रिया में किन खामियों की ओर इशारा किया है? द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग ने ‘शासन में नैतिकता’ पर अपनी चौथी रिपोर्ट में इस संबंध में क्या अनुशंसा की है? (250 शब्द)
04 Jun, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था
प्रश्न विच्छेद• सर्वोच्च न्यायालय द्वारा चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया में बताई गई कमियाँ। • द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग की इस संबंध में सिफारिश। हल करने का दृष्टिकोण • संक्षेप में भूमिका बताएँ। • उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्वाचन आयोग के सदस्यों की नियुक्ति प्रक्रिया में निकाली गई कमियों को बताएँ। • इस संदर्भ में द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग की सिफारिश बताएँ। • अंत में निष्कर्ष लिखें। |
लोकतांत्रिक शासन प्रणाली की आत्मा चुनाव होता है। स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव कराने के लिये निर्वाचन आयोग के रूप में एक संवैधानिक संस्था की व्यवस्था की गई है। अनुच्छेद 324 में निर्वाचन आयोग की संरचना, कार्य एवं सदस्यों की नियुक्ति तथा पदावधि की चर्चा की गई है।
वर्तमान में मुख्य चुनाव आयुक्त एवं अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रधानमंत्री की सलाह से राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। हाल ही में एक याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय ने इन नियुक्तियों की प्रक्रिया में निम्नलिखित खामियों की ओर इशारा किया है:
वस्तुत: मुख्य चुनाव आयुक्त एवं अन्य चुनाव आयुक्त पूरे देश में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव कराने के लिये ज़िम्मेदार हैं। अत: इनका चयन पारदर्शी तरीके से होना चाहिये। इस संबंध में बनाया गया कानून चुनाव प्रक्रिया को न्यायसंगत, निष्पक्ष एवं पारदर्शी बनाना सुनिश्चित करेगा।
द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग ने ‘शासन में नैतिकता’ पर अपनी चौथी रिपोर्ट में मुख्य निर्वाचन आयुक्त एवं अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति एक कोलोजियम द्वारा किये जाने की सिफारिश की है। इस कोलोजियम की संरचना निम्नलिखित प्रकार से होनी चाहिये:
निष्कर्षत: कह सकते हैं कि जिस तरह हाल के समय में चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाए जा रहे हैं, ऐसे में इनकी नियुक्ति प्रक्रिया को कानूनी रूप दिया जाना उचित होगा। विधि आयोग ने भी अपनी रिपोर्ट में इसके सदस्यों की नियुक्ति कोलोजियम की सिफारिश द्वारा किये जाने का सुझाव दिया है।