नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    क्या कारण है कि सरकार द्वारा किये गए तमाम प्रयासों के बावजूद ‘गोरखालैंड राज्य’ की मांग अधिक बलवती होती जा रही है? क्या अनुच्छेद 244क में संवैधानिक संशोधन कर इस समस्या का समाधान ढूंढा जा सकता है? (250 शब्द)

    25 May, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    उत्तर :

    प्रश्न विच्छेद

    ♦ गोरखालैंड राज्य की समस्या के समाधान के लिये सरकार द्वारा किये गए प्रयास।

    ♦ वर्तमान में मौजूद समस्या का कारण।

    ♦ अनुच्छेद 244 (क) में संशोधन कैसे समस्या के समाधान में सहायक है।

    हल करने का दृष्टिकोण

    ♦ हाल की घटना का उल्लेख करते हुए उत्तर की शुरुआत करें।

    ♦ गोरखालैंड की संक्षेप में पृष्ठभूमि बताते हुए इसके समाधान के लिये किये गए सरकारी प्रयासों की बताएँ।

    ♦ समस्या के कारणों का उल्लेख करते हुए अनुच्छेद 244(क) में संशोधन, इस समस्या के समाधान में कैसे सहायक होगा? स्पष्ट करें। तथा अंत में निष्कर्ष लिखें।


    हाल ही में पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा पहली से लेकर दसवीं कक्षा तक बांग्ला भाषा को अनिवार्य किये जाने के पैसले के विरोध में गोरखालैंड राज्य की मांग फिर से तेज़ हो गई।

    वस्तुत: अलग गोरखालैंड राज्य की मांग अंग्रेज़ों के समय से ही चली आ रही है, जब 1907 में पहली बार मॉर्ले-मिंटो सुधार मंडल के समक्ष गोरखालैंड की मांग रखी गई। आज़ादी के बाद 1980 के दशक में पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग, कलिम्पोंग, कर्सियोंग तथा अन्य पहाड़ी क्षेत्रों में बसे नेपाली भाषियों ने गोरखा नेशनल लिबरेशन प्रंट के नेतृत्व में अलग राज्य की मांग को लेकर उग्र प्रदर्शन किया।

    अलग गोरखालैंड राज्य के माँग की समस्या के समाधान के लिये सरकार ने कई प्रयास किये, जैसे:

    • 1988 में दार्जिलिंग गोरखा हिल काउंसिल की स्थापना।
    • 71वें संविधान संशोधन के माध्यम से कोंकणी, एवं मैथिली के साथ नेपाली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाना।
    • 2005 में छठी अनुसूची के तहत गोरखा हिल काउंसिल को मंज़ूरी प्रदान करना।
    • 2012 में दार्जिलिंग गोरखा हिल काउंसिल के स्थान पर गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन का गठन किया जाना। इसे अर्द्ध-स्वायत्त प्रशासनिक निकाय का दर्जा प्रदान किया गया।

    उपर्युक्त प्रयासों के बावजूद गोरखालैंड राज्य की मांग अधिक बलवती होती जा रही है। क्योंकि ये प्रयास गोरखाओं की निम्नलिखित समस्याओं का समाधान करने में विफल रहे हैं:

    • गोरखा क्षेत्र एवं शेष पश्चिम बंगाल के बीच सापेक्षिक आर्थिक पिछड़ापन ज़्यादा है। गोरखा, विकास के मानकों पर अभी भी बहुत पीछे हैं।
    • गोरखा एवं शेष बंगालियों की भाषा एवं संस्कृति में अंतर। जिसके कारण गोरखाओं को अपनी सांस्कृतिक पहचान को लेकर सशंकित रहना पड़ता है।
    • गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन के बावजूद इन्हें विधायी अधिकार न प्राप्त होना।

    राज्य सरकार के प्रशासन एवं विधायी क्षेत्रों में कम प्रतिनिधित्व की समस्या।

    वस्तुत: 22वें संविधान संशोधन के माध्यम से अनुच्छेद 244(क) जोड़ा गया। इसमें संसद को विधि द्वारा असम के कुछ जनजातीय क्षेत्रों को मिलाकर एक स्वायत्त राज्य की स्थापना करने की शक्ति प्रदान की गई है। अनुच्छेद 244 (क) में संशोधन के माध्यम से इसकी प्रयोज्यता को पश्चिम बंगाल तक बढ़ा देने से उपयुक्त समस्या का समाधान निम्नलिखित तरीके से संभव है:

    • इसके माध्यम से अविभाजित पश्चिम बंगाल के भीतर एक स्वायत्त गोरखालैंड राज्य का निर्माण किया जा सकेगा। इसके पास अपनी विधायिका तथा मंत्रिपरिषद होगी। इसके माध्यम से गोरखा, राज्य सूची एवं समवर्ती सूची के कुछ विषयों को छोड़कर, बाकी सभी के संदर्भ में कानून बना सकेंगे।
    • इसके माध्यम से गोरखालैंड अपने क्षेत्र के लोगों के विकास एवं कल्याण के लिये स्वायत्त रूप से कार्य करने में सक्षम होगा। इस तरह उसके सापेक्षिक पिछडे़पन की शिकायत समाप्त होगी।
    • यह पश्चिम बंगाल के लिये भी यथार्थवादी कदम होगा क्योंकि इससे निरंतर होने वाली झड़पों से छुटकारा मिलेगा तथा अपने किसी क्षेत्र को खोना नहीं पड़ेगा। विशेषकर दार्जिलिंग को, जो इसका महत्त्वपूर्ण पर्यटक स्थल है।

    लेकिन यह प्रयास दृढ़ इच्छाशक्ति से क्रियान्वित होने पर ही सफल होगा। आधे-अधूरे मन से किया गया प्रयास मेघालय की तरह अलग गोरखालैंड राज्य के निर्माण को प्रोत्साहित करेगा। मेघालय को भी पहले असम के तहत स्वायत्त राज्य का दर्जा प्रदान किया गया था, जो लोगों की आकांक्षाओं की पूर्ति न कर सका। फलत: इसे एक अलग राज्य का दर्ज़ा प्रदान किया गया।

    निष्कर्षत: कहा जा सकता है कि गोरखा समस्या के समाधान के लिये किये गए कई सरकारी प्रयास प्रभावी न होने के कारण गोरखालैंड की मांग बलवती होती गई। इसका एक सामंजस्यपूर्ण समाधान अनुच्छेद 244(क) में संशोधन के माध्यम से किया जा सकता है।

    To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

    Print
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow